मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समक्ष दो टूक कहने वाले अजमेर के अकेले नेता हैं भंवर सिंह पलाड़ा। अपने दम पर राजनीति करते हैं।
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खो खो एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अजमेर जिले में भाजपा के दबंग नेता भंवर सिंह पलाड़ा का जन्म दिन 24 जून को है, लेकिन उनके समर्थक पिछले चार पांच दिनों से ही जन्म दिन का जश्न मनाने में मशगुल है। स्वयं पलाड़ा ने भी 22 जून को मसूदा में स्वयं के अजमेर पब्लिक स्कूल के परिसर में भगवान शिव के मंदिर का शुभारंभ करवाया। 24 जून को अजमेर के प्रमुख समाचार पत्रों में अधिकांश पृष्ठ पलाड़ा से रंगे होंगे। अखबार मालिकों ने पलाड़ा के जन्म दिन के विज्ञापन एकत्रित करने के लिए टीमें लगा रखी हैं। इसे पलाड़ा का दमखम ही कहा जाएगा कि अपनी घरेलू पत्नी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा को एक बार जिला प्रमुख बनवाया और अब अजमेर जिले के मसूदा विधानसभा क्षेत्र से श्रीमती पलाड़ा भाजपा की विधायक हैं। सब जानते है। कि साढ़े चार वर्ष पहले हारी हुई सीट मानते हुए ही श्रीमती पलाड़ा को टिकिट दिया था, लेकिन विपरित परिस्थितियों में भी भंवर सिंह पलाड़ा ने अपनी पत्नी को विधायक बनवा दिया। आम चर्चा है कि असली विधायक तो पलाड़ा ही हैं, लेकिन ऐसा मानने वालों को पता नहीं कि भंवर सिंह पलाड़ा अपनी पत्नी श्रीमती पलाड़ा का कितना सम्मान करते हैं। पलाड़ा का मानना है कि आज उनका जो साम्राज्य है वह श्रीमती पलाड़ा की धार्मिक और दानपुण्य की प्रवृत्ति से ही है। पलाड़ा दम्पत्ति रोजाना अजमेर में पुलिस लाइन स्थित मंदिर में दर्शन करने साथ-साथ जाते हैं। मंदिर दर्शन के बाद ही दिन के कामकाज शुरू करते हैं। मुख्यमंत्री के आने पर जिले के मंत्री और विधायक हेलीपैड पर लाइन बनाकर खड़े रहते हैं, लेकिन पलाड़ा ने श्रीमती पलाड़ा को इस तरह विधायक की लाइन में नहीं लगाया। स्वयं भी जरूरी होने पर ही सीएम का स्वागत करने के लिए जाते हैं। पलाड़ा जिले के एक मात्र ऐसे भाजपा नेता हैं जो सीएम वसुंधरा राजे को भी दो टूक कहने में हिचकिचाते नहीं है। लोकसभा के उपचुनाव में हार के बाद जब जयपुर में सचिवालय में सीएम राजे और पलाड़ा पहली बार आमने-सामने हुए तो सीएम ने नाराजगी जताई और कोई नेता अथवा विधायक होता तो चुपचाप सुनता रहता, लेकिन पलाड़ा ने जिस अंदाज में जवाब दिया उससे उपस्थित अधिकारी और नेता भी स्तब्ध रह गए। असल में पलाड़ा को भी पता है कि प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में उनका कोई मददगार नहीं है। उनहें अपने ही दम पर राजनीतिक करनी है, इसलिए मंत्रियों और मुख्यमंत्री के चक्कर काटने के बजाए उनका सारा ध्यान मसूदा विधानसभा क्षेत्र पर लगा है। मसूदा की गांव ढाणी तक में पलाड़ा दम्पत्ति की पहुंच है। ग्राम पंचायत स्तर पर समस्या समाधान शिविर लगाकर पलाड़ा दम्पत्ति ने पूरे साढ़े चार वर्ष मसूदा के मतदाताओं से सम्पर्क बनाए रखा। अजमेर जिले के भाजपा विधायक नवम्बर में होने वाले चुनाव में भले ही बड़े नेताओं पर निर्भर हों, लेकिन पलाड़ा स्वयं के दम पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। पलाड़ा ने साफ संकेत दे दिए हैं कि आगामी चुनाव में दोबारा से मसूदा के उम्मीदवार नहीं बनाया तो वे अजमेर दक्षिण की आरक्षित सीट को छोड़ कर किसी भी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा का कोई विधायक नहीं चाहता कि पलाड़ा उनके क्षेत्र में आकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े। मसूदा छिनने के बाद पलाड़ा कहां से चुनाव लड़ेंगे यह भी तय नहीं है, लेकिन पलाड़ा के समर्थक अजमेर उत्तर क्षेत्र को लेकर उत्साहित हैं।