सुषमा जी! अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ वाला नियम देशभर के पासपोर्ट कार्यालयों में लागू करवावें

सुषमा जी! अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ वाला नियम देशभर के पासपोर्ट कार्यालयों में लागू करवावें। यह वाह वाही लूटने का मुद्दा नहीं है।
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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लखनऊ के पासपोर्ट कार्यालय में दखल देते हुए अनस सिद्दीकी और उनकी पत्नी तन्वी सेठ का पासपोर्ट का नवीनीकरण करवा दिया है। इतना ही नहीं लखनऊ कार्यालय के पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा का तबादला भी कर दिया है। तन्वी सेठ ने ट्वीटर पर शिकायत की थी कि मुस्लिम युवक से विवाह करने के कारण ही उसके पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं किया गया। चूंकि यह मामला धर्म निरपेक्षता से जुड़ा था इसलिए सुषमा ने हाथों हाथ कार्यवाही। सवाल अकेले अनस और तन्वी का नही है। सवाल उन हजारों दम्पत्तियों का जो सरनेम के चक्कर में पासपोर्ट कार्यालयों के धक्के खा रहे हैं। विवाह के बाद हर लड़की का सरनेम बदल जाता है। सुषमा स्वराज पता लगाएं कि आम लोगों को सरनेम बदलवाने में कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। पति-पत्नी पासपोर्ट कार्यालयों के चक्कर ही लगाते रहते हैं। कई बार इंटरव्यू देने के बाद भी बदलाव नहीं होता। सरनेम बदलाव न तो बहुत बड़ी बात है, नाम में अंग्रेजी का एक अक्षर भी गलत हो तो पासपोर्ट नहीं बनता है। छोटी-छोटी कमियां निकाल कर आम लोगों को परेशान किया जाता है। साधारण महिला बनकर एक बार सुषमा स्वराज किसी पासपोर्ट कार्यालय को देखे तो सही। सारी हकीकत पता चल जाएगी। सुषमा माने या नहीं, इस सरनेम बदलाव की वजह से हजारों दम्पत्ति परेशान हैं। अनस और तन्वी के मामले में सुषमा ने जो फैसला करवाया, उसे देशभर के पासपोर्ट कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से लागू करवाया जाए। यानि विवाह के बाद किसी भी लड़की को पासपोर्ट के लिए सरनेम बदलने की जरुरत नहीं है। यदि अब आम दम्पत्ति को इस मुद्दे पर राहत नहीं मिलती है तो यह माना जाएगा कि धर्म निरपेक्षता दिखाने और वाह वाही लूटने के लिए अनस और तन्वी का पासपोर्ट बनवाया गया है। उम्मीद है कि सुषमा आम दम्पत्तियों की पीड़ा का भी ख्याल रखेगी।
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