पुष्कर तीर्थ में परिक्रमा मार्ग पर उफना सीवरेज का गंदा पानी।
सूखा पड़ा है पवित्र सरोवर।
आखिर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे क्यों नहीं देती ध्यान।
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24 जून को पुष्कर तीर्थ में उस समय हालात बिगड़ गए जब परिक्रमा मार्ग पर सीवरेज का गंदा पानी उफन कर बहने लगा। देशभर से आए जो श्रद्धालु पुष्कर की परिक्रमा कर रहे हैं उन्हें मलमूत्र के पानी में से होकर गुजरना पड़ा। इसी बीच एक शव यात्रा को भी इसी गंदे पानी में से निकलना पड़ा। सीवरेज का गंदा पानी पहले भी पवित्र सरोवर तक में जा चुका है, लेकिन न तो नगर पालिका प्रशासन और न जिला प्रशासन ने रोकथाम के पुख्ता इंतजाम किए हैं। सीवरेज का पानी सड़कों पर आने से पुष्कर वासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पुष्कर की परिक्रमा के लिए देशभर से श्रद्धालु खासकर बुजुर्ग नागरिक आते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब इन श्रद्धालुओं को गंदे पानी से होकर गुजरना होता है तो कितनी बददुआएं निकलती होगी।
सूखा पड़ा है सरोवरः
एक ओर पुष्कर की सड़कों पर सीवरेज का पानी बह रहा है तो दूसरी ओर पवित्र सरोवर सूखा पड़ा है। हालात इतने खराब है कि सरोवर के किनारे बनाए गए कुंडों में भी पानी नहीं है। सरोवर की क्षमता 35 फिट है। लेकिन आज एक फिट भी नहीं बचा है जो पानी नजर आ रहा है वह भी बदबूदार है। आए दिन सैकड़ों मछलिया दूषित पानी की वजह से मर रही है। एक तरह से सरोवर का पानी जहरीला हो गया है जो आचमन करने लायक भी नहीं है। जलदाय विभाग के सहायक अभियन्ता राजीव कुमार माथुर का दावा है कि सरोवर के 13 कुंडों में रोजाना 10 लाख लीटर पानी ट्यूबवेल के जरिए डाला जा रहा है। सरोवर के किनारे खुदे 9 ट्यूबवेलों से यह पानी डाला जाता है। वहीं पुष्कर के हितों के लिए लगातार संघर्ष करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर का कहना है कि राजीव माथुर सफेद झूठ बोल रहे हैं। वह पुष्कर के जागरुक नागरिकों के साथ 25 जून को ही पानी की मात्रा की जांच करवाने को तैयार है। यदि दस लाख लीटर पानी प्रतिदिन डाला जाता है तो सभी 18 कुंडों में पानी भरा होता। असल में जलदाय विभाग की सारी योजनाएं फेल हो गई है। विभाग को 10 नए ट्यूबवेल खोदने में लेकिन दो ही खोदे गए। ये ट्यूबवेल बंद होने के कगार पर है। बीसलपुर योजना का पानी भी सरोवर में नहीं डाला जा रहा है।
पुरोहितों में नाराजगीः
सरोवर में पानी नहीं होने से पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों में भारी नाराजगी है। तीर्थ पुरोहित रमेश पाराशर, कमल रायता, दिनेश रायता आदि ने कहा है कि पानी नहीं होने से श्रद्धालु स्नान भी नहीं कर पा रहे है। इस मामले में तीर्थ पुरोहित संघ की चुप्पी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। पूर्व में संघ के पदाधिकारी छोटी-छोटी बातों को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। लेकिन अब सीवरेज का पानी सड़कों पर आने और सरोवर के सूखने जैसे बड़े मुद्दों पर भी संघ के पदाधिकारी चुप हैं।
सीएम ध्यान दें:
राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे का पुष्कर से व्यक्तिगत जुड़ाव है। राजे के सिंधिया परिवार का मंदिर भी सरोवर के किनारे बना हुआ है। सीएम कई बार इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना कर चुकी है। सावन माह में सीएम की ओर से प्रतिवर्ष विशेष पूजा अर्चना करवाई जाती हैं। पुष्कर की दुर्दशा पर क्षेत्रीय विधायक सुरेश रावत ने भी सीएम का ध्यान आकर्षित किया है। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि वसुंधरा सरकार में संसदीय सचिव होने के बाद भी रावत सरोवर में जलदाय विभाग पानी तक नहीं डलवा पा रहे हैं। सीएम राजे बार बार यह दावा करती है कि प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों का जिर्णोद्धार करवाया गया है। वहीं तीर्थ गुरु पुष्कर अपनी दुर्दशा पर आसूं बहा रहा है।