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राजस्थान के गृहमंत्री कटारिया बताएं कि थानाधिकारी से शिकायत की रसीद
कौन मांग सकता है?
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27 जून को राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने जयपुर में एक
संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि भाजपा के साढ़े चार वर्ष के शासन में
अपराध में खासकर महिला उत्पीड़न के मामलों में कमी आई है। कटारिया के
दावों के बीच ही जब यह सवाल किया गया कि पुलिस स्टेशनों पर एफआईआर ही
दर्ज नहीं होती है, तो कटारिया ने कहा कि एफआईआर तो मेरे खिलाफ भी दर्ज
करवाई जा सकती है। थानाधिकारी को किसी भी शिकायत पर एफआईआर तो दर्ज करनी
ही पड़ेगी। भले ही जांच के बाद मामले में एफआर लग जाए। कटारिया ने
पत्रकारों से कहा कि वे थानाधिकारी को दी गई शिकायत की रसीद मुझे बताए
मैं ऐसे थानाधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करुंगा। कटारिया ने बड़ी सहजता से
थानाधिकारी से शिकायत की रसीद मांगने की बात कह दी। शायद कटारिया को अपने
पुलिस स्टेशनों की स्थिति के बारे में पता ही नहीं है। जो पीड़ित व्यक्ति
है वो इतनी हिम्मत दिखाई ही नहीं सकता कि थानाधिकारी से शिकायत की रसीद
मांग ले। थानाधिकारी की बात तो छोड़िएं थाने के एक सिपाही के सामने भी
पीड़ित व्यक्ति के बोलने की हिम्मत नहीं होती है। किसी भी थाने पर थानेदार
की इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है। जब तक थानाधिकारी नहीं कहेगा
तब तक एफआईआर दर्ज नहीं होगी। जिन लोगों का पुलिस से वास्ता पड़ा है
उन्हें पता है कि थाने पर किस तरह से एफआईआर दर्ज होती है। थाने पर
एफआईजार दर्ज नहीं होने की वजह से ही अनेक बार पीड़ितों को अदालत में
इस्तगासा दायर करना होता है। कटारिया को यह भी पता होना चाहिए कि अदालत
के आदेश के बाद भी पीड़ित को थाने पर कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ता
है। अच्छा हो कि कटारिया राजस्थान के सभी पुलिस स्टेशनों पर ऐसी सरल
व्यवस्था करें जिसके अंतर्गत आसानी से एफआईआर दर्ज हो सकती हो। यह सही है
कि एफआईआर दर्ज नहीं होने की वजह से ही अपराध के आंकड़ों में कमी आती है।
एस.पी.मित्तल) (27-06-18)
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