एक ही घर में 10 जनों के शव लटके मिले।

एक ही घर में 10 जनों के शव लटके मिले। आखिर किधर जा रहा है हमारा समाज।
======
1 जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र स्थित संत नगर इलाके में दो परिवारों के दस सदस्यों के शव फांसी पर लटके मिले तो वहीं एक बुजुर्ग महिला का शव लहूलुहान अवस्था में जमीन पर पड़ा मिला। पुलिस हत्या और आत्महत्या दोनों एंगल से जांच कर रही है। यदि 10 जनों ने इस प्रकार खुदकुशी की है तो यह और भी बुरी बात है और लेकिन यदि हत्या कर शवों को लटकाया गया है तो यह अपराध की पराकाष्ठा है। पुलिस जांच होती  रहेगी, लेकिन अहम सवाल यह है कि आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है। 11 शवों में 7 महिलाओं के है जिनमें दो नाबालिग हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपराध कितना दर्दनाक और विभत्स होगा। असल में समाज में जिस तरह से अपराध की प्रकृति बढ़ रही है उसी के दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं। जिस परिवार के शव लटके मिले, वह पिछले तीस वर्षों से इसी इलाके में रह रहा है। आस पड़ोस के लोगों का कहना है कि परिवार के बारे में कभी कोई शिकायत नहीं मिली। वहीं यह बात भी महत्वपूर्ण है कि एक घर में एक के बाद एक 11 लोगों की सांस बंद हो गई और आस पड़ौस में किसी को भी पता नहीं चला। पुलिस तो अपने स्तर पर अपराध को रोकने का काम करती है। लेकिन अब समय आ गया है कि जब समाज को जागरुक होना पड़ेगा। हर परिवार अपने सुख दुख में इतना व्यस्त है कि उसे अपने पड़ौसी की कोई चिंता नहीं है। अपराध जब इतना शातिर है कि एक ही रात में 11 जनों को मौत की नींद सुला सकता है तो क्या फिर समाज को जागरुक होने की जरुरत नहीं है? इस घटना के बाद न कवेल समाज जागरुक हो बल्कि समाज संस्कारवान भी होना चाहिए। हम सब जानते हैं कि भारत की सामाजिक व्यवस्था में पश्चिम की बुराइयां आ गई है। स्वयं को आधुनिक दिखाने के लिए अपनी संस्कृति को भुलाया जा रहा है। समाज को बिगाड़ाने में टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले सीरियल भी जिम्मेदार है। महिला प्रधान सीरियलों में हमारी सनातन संस्कृति के विपरित कहानी दिखाई जाती है।
एस.पी.मित्तल) (01-07-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
================================
अपने वाट्सएप ग्रुप को 7976585247 नम्बर से जोड़े
Print Friendly, PDF & Email

You may also like...