तो अब मुसलमानों को कश्मीर पुलिस में काम नहीं करने देंगे आतंकी।
तो अब मुसलमानों को कश्मीर पुलिस में काम नहीं करने देंगे आतंकी।
कांस्टेबल जावेद अहमद की हत्या।
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6 जुलाई की सुबह कश्मीर पुलिस के कांस्टेबल जावेद अहमद का शव पुलगावा क्षेत्र में पड़ा मिला। जावेद का शव गोलियां से छलनी था। जावेद का अपहरण 5 जुलाई की शाम को हुआ था और सुरक्षा बल रात भर जावेद की तलाश करते रहे। जावेद की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी हिजबुल मुजाहिद्दीन ने ली है। पहले भी औरंगजेब, फैयाज आदि पुलिस कर्मियों की हत्या इसी तरह की जा चुकी है। असल में जो मुसलमान कश्मीर पुलिस में रहकर देशभक्ति का परिचय देते हैं उन्हें आतंकी मौत के घाट उतार देते हैं। 6 जुलाई को भी आतंकियों ने संकेत दिए हैं कि जो मुसलमान कश्मीर पुलिस में काम करेगा उसकी हत्या कर दी जाएगी। यह कृत्य वैसा ही है जैसा पूर्व में हिन्दुओं के साथ किया गया था। कश्मीर घाटी से चार लाख हिन्दुओं को भी इसी तरह दहशत के माहौल से भगा दिया गया। जावेद अहमद उन जांबाज जवानों में शामिल था जो एसएसपी शैलेन्द्र मिश्रा के साथ काम कर आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही कर रहा था। असल में पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकी नहीं चाहते कि कश्मीर में कोई मुसलमान पुलिस अथवा अन्य सुरक्षा बल में काम करे। यही वजह है कि जब भी आतंकियों को मौका मिलता है तब कश्मीर के पुलिस कर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी जाती है।
मां से मिलने आया था जावेदः
जावेद पुलगावा में तैनात है लेकिन वह 5 जुलाई को ही अपनी मां से मिलने आया था। मां हज यात्रा पर जा रही है, जावेद की तमन्ना थी कि वह अपनी मां को हज यात्रा की विदाई दे, लेकिन मां को विदा करने से पहले ही जावेद की हत्या हो गई। मुस्लिम धर्म में मां की विशेष दर्जा दिया गया है। मां के कदमों में जन्नत बताई गई है। लेकिन आतंकियों के लिए यह धार्मिक शिक्षा भी कोई मायने नहीं रखती है। ईद से दो दिन पहले ही औरंगजेब की हत्या इसी तरह की गई थी। औरंगजेब भी ईद की छुट्टियों में अपने घर आया था। हालांकि सुरक्षा बलों की ओर से कहा गया है कि जावेद की शाहदत को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा। हत्यारों की खोजकर उन्हें सबक सिखाया जाएगा।