बाड़मेर का खेताराम भील भी मॉब लिचिंग का शिकार।
बाड़मेर का खेताराम भील भी मॉब लिचिंग का शिकार।
क्या राहुल गांधी और ममता बनर्जी टिप्पणी करेंगे?
सुप्रीम कोर्ट भी ले संज्ञान।राजस्थान के अलवर के रामगढ़ के गांव लालवंडी में अकबर को मॉब लिचिंग का शिकार मानते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल से लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोल दिया। हैदराबाद के सांसद ओवैसी को तो देशभर के मुसलमान असुरक्षित नजर आने लगे। संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में हंगामा और चर्चा हुई। यह सही है कि किसी की भी हत्या जायज नहीं ठहराई जा सकती, चाहे कारण कुछ भी हो। अलवर पुलिस के इस मामले में कथित गौरक्षक नरेश कुमार, परमजीत और धर्मेन्द्र को गिरफ्तार भी कर लिया। अलवर की घटना 21 जुलाई की रात की है। जबकि 22 जुलाई को राजस्थान के बाड़मेर की रामगढ़ तहसील के भिंडी का पार्क क्षेत्र में एक ओर मॉब लिचिंग का मामला हो गया। क्षेत्र के डीएसपी सुरेन्द्र कुमार का कहना है कि खेताराम भील का एक मुस्लिम परिवार में आना जाना था। आरोप है कि खेताराम के मुस्लिम परिवार की एक महिला से प्रेम संबंध हो गए। प्रेम संबंधों की जानकारी मिलते ही संबंधित मुस्लिम परिवार और आसपास के मुस्लिम पुरुषों ने खेताराम को बुलाया और पीट पीट कर मार डाला। पुलिस ने हत्या के आरोप में पठान खान और अनवर खान को गिरफ्तार कर लिया है। शेष आरोपियों की तलाश है। दलित जाति के खेताराम की हत्या पर राहुल गांधी, ममता बनर्जी जैसे राजनेता कोई टिप्पणी करें या नहीं, यह उनका राजनीतिक नजरिया है। लेकिन मेरा मानना है कि हत्यारों की कोई जात और धर्म नहीं होती है। हत्यारा तो हत्यारा ही होता है। शासन वसुंधरा राजे का हो या ममता बनर्जी का। यदि कोई हत्या होती है तो उसकी निंदा होनी ही चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि अकबर की हत्या पर तो साम्प्रदायिक नजरिए से देखा जाए और दलित खेताराम की हत्या पर चुप्पी साध ली जाए। यदि अकबर की हत्या मॉब लिचिंग है तो फिर खेताराम की क्यों नहीं? यदि खेताराम ने कोई अपराध किया तो उसकी सजा कानून के अंतर्गत मिलनी चाहिए। यही नजरिया अकबर के प्रकरण में भी होना चाहिए था। कानून हाथ में लेकर किसी को भी आरोपी की हत्या का अधिकार नहीं है। राज्य की भाजपा सरकार को चाहिए कि वह अकबर और खेताराम की हत्या के मामले में एक समान सख्त कार्यवाही करें।
मीडिया भी निभाए सकारात्मक भूमिकाः
मॉब लिचिंग के मामले में मीडिया खास न्यूज चैनलों को भी सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। अब यह बात साफ हो गई है कि अकबर की मृत्यु पुलिस की लापरवाही की वजह से हुई, लेकिन फिर भी मीडिया का रवैया एक तरफा है, वहीं खेताराम की हत्या पर मीडिया खामोश है। मीडिया को दोनों ही मामलो में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।