राजस्थान की जनता ने दस वर्ष तक चेहरा देखा है, अब किसकी तलाश है। लालचंद कटारिया के बयान के बाद अशोक गहलोत के इस बयान के क्या मायने हैं?
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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालचंद कटारिया ने 26 जुलाई को एक बयान दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जाने पर ही राजस्थान में नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत होगी। यदि गहलोत के नाम की घोषणा नहीं की गई तो कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ेगा। कटारिया के इस बयान को लेकर जीटीवी के राजस्थान न्यूज चैनल पर 27 जुलाई को रात 8 बजे न्यूज-व्यूज का लाइव प्रोग्राम हुआ, पत्रकार के नाते इस प्रोग्राम में मुझे भी भाग लेने का अवसर मिला। हालांकि कटारिया के बयान पर दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला इधर जयपुर में प्रदेश प्रभारी अविनाश राय पांडे ने कटारिया के बयान को अनुशासनहीनता माना। पांडे ने तो कटारिया को गद्दार और धोखेबाज तक कह दिया। लाइव प्रोग्राम में मेरा कहना था कि इस मुद्दे पर अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जाना चाहिए। 28 जुलाई को गहलोत की उदयपुर प्रवास में जो प्रतिक्रिया सामने आई वह चैंकाने वाली है। गहलोत ने सुरजेवाला, अविनाश राय पांडे की तरह कटारिया को न तो गद्दार कहा और न धोखेबाज। गहलोत ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि राजस्थान की जनता ने दस वर्ष तक एक चेहरा देखा है, अब किस चेहरे की तलाश है? मैं पहले भी कह चुका हूं कि राजस्थान से दूर नहीं हूं। मैं चाहे दिल्ली में रहू या गुजरात में लेकिन मैं राजस्थान में पूरी तरह सक्रिय रहता हंू। मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसका फैसला हाईकमान करेगा, लेकिन में हाईकमान के निर्देश पर ही जिम्मेदारी संभालने को तैयार हंू। मेरा इन दिनों सारा फोकस राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनवाना है।
हो सकती है कटारिया के खिलाफ कार्यवाहीः
अशोक गहलोत ने भले ही स्वयं को सीएम पद का दावेदार घोषित न किया हो, लेकिन 28 जुलाई के बयान से साफ जाहिर है कि गहलोत सीएम बनने का दावा छोड़ेंगे नहीं। सब जानते हैं कि इन दिनों गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव है, ऐसी स्थिति में गहलोत का रोजाना सोनिया गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से संवाद होता है। गहलोत राजनीति के मझे खिलाड़ी हैं। ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे उनका नुकसान हो। कटारिया और गहलोत के बयान से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के समर्थक खफा है। अब पायलट के समर्थक चाहते हैं कि कटारिया के खिलाफ अनुशासन हीनता की कार्यवाही हो। ताकि गहलोत को भी सख्त संदेश दिया जा सके। जानकारों की माने तो सचिन पायलट ने कटारिया वाले बयान पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से बात की है। संभवतः इस बात के बाद ही 28 जुलाई को प्रदेश प्रभारी अविनाश राय पांडे ने कांग्रेस के नेताओं को एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री के पद को लेकर कोई टिप्पणी न की जाए। टिप्पणी करने वाले कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही होगी। पांडे ने यह भी कहा है कि कटारिया के बयान पर राहुल गांधी बेहद गंभीर हैं।
पायलट समर्थकों का दर्दः
सब जानते हैं कि गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 200 में से 21 सीटें मिली थी, तब सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, पिछले चार वर्षों में पायलट के नेतृत्व में ही वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ आंदोलन हुए। पायलट ने जो मेहनत की उसी का परिणाम है कि आज विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में कांग्रेस मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। पायलट के समर्थकों का यही दर्द है कि पिछले चार वर्ष तक उन्होंने सरकार की लाठियां खाई और अब जब सरकार बनने की उम्मीद है तब अशोक गहलोत मुख्यमंत्री के लिए तैयार हो रहे हैं। समर्थक तो पायलट को पहले से ही सीएम मान रहे हैं।