तो दफन हो जाएगा मेयो काॅलेज का यौन शोषण कांड। खबरों का काम भी ठेके पर।
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अजमेर स्थित देश के सुविख्यात मेयो काॅलेज के एक छात्र के यौन शोषण प्रकरण में पुलिस ने अभी तक भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। जबकि पुलिस में एफआईआर दर्ज कराए 25 दिन गुर्जर गए हैं। पुलिस की कार्यवाही किस तरह चल रही है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पीड़ित छात्र को काॅलेज से बाहर होना पड़ा है। काॅलेज प्रशासन ने अभी तक भी एक भी आरोपी छात्र के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की है। असल में मेयो काॅलेज की प्रबंध समिति में पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह सहित रिटायर्ड डीजीपी, पूर्व राजघरानों के प्रमुख आदि सदस्य हैं। मेयो काॅलेज के लिए बनी प्रबंध समिति ही मेयो, गल्र्स और मयूर स्कूल का संचालन करती है।
यूनिवर्सिटी में छात्र का निलंबनः
अजमेर के निकट बांदर सिंदरी में संचालित सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने भी रेगिंग के नाम पर यौन शोषण की शिकायत की थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्राथमिक जांच के बाद आरोपी छात्र को निलंबित कर दिया। सवाल उठता है कि जब सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आरोपी छात्र के विरुद्ध कार्यवाही हो सकती है तो फिर मेयो काॅलेज के आरोपी छात्रों के विरुद्ध क्यों नही? काॅलेज में यौन शोषण के आरोपों को लेकर मीडिया में भी खबरे प्रकाशित हुई, लेकिन इन खबरों का काॅलेज प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ा। अब काॅलेज प्रशासन ने काॅलेज की खबरों का कार्य भी एक निजी एजेंसी को दे दिया है। स्पार्क एजेंसी के वरिष्ठ सलाहकार जगदीप सिंह की ओर से मीडिया संस्थानों को सूचित किया गया है कि अब उनकी एजेंसी ही मेयो काॅलेज से जुड़ी खबरों के बारे में बताएगी।