तो अजमेर नगर निगम में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर ही स्वीकृत हो गए नक्शे। अब खारिज किए जा रहे हैं। ऐसा अजूबा क्यों? क्या दोषियों के खिलाफ होगी कार्यवाही।
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अजमेर के जिन भूखंड धारियों ने नगर निगम से विधिवत तौर पर नक्शा स्वीकृत करवाया है, वह नक्शा अब कभी भी निरस्त हो सकता है। निगम प्रशासन ही मानता है कि स्वीकृत नक्शे के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति नहीं ली गई। ऐसा ही एक आदेश निगम ने अजमेर में आगरा गेट स्थित सोनी जी की नसिया के सामने पुराने पोस्ट आॅफिस वाले 322 वर्गगज के भूखंड की मालिक श्रीमती उमराव कंवर को दिया है। 9 अगस्त 2018 के आदेश में श्रीमती उमराव कंवर को सूचित किया है कि 8 अप्रैल 2018 को जो मानचित्र स्वीकृत किया था वह सक्षम अधिकारी से अनुमोदित नहीं है, इसलिए तुरंत प्रभाव से खारिज किया जाता है। निर्माण कार्य को तुरंत बंद करने की हिदायत देते हुए कहा कि यदि निर्माण किया तो नगर पालिका अधिनियम 2009 के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी। जबकि श्रीमती उमराव कंवर के परिजन का कहना है कि उन्होंने सभी आवश्यक कार्यवाही कर निगम से व्यावसायिक भूखंड पर नक्शा स्वीकृत करवाया था। यदि सक्षम अधिकारी से अनुमोदित नहीं करवाया तो यह निगम प्रशासन की गलती है। सवाल उठता है कि आखिर नगर निगम में किस तरह से नक्शे स्वीकृत हो रहे हैं। जो लोग नक्शा स्वीकृत करवाते हैं उन्हें अच्छी तरह पता है कि निगम में कितने पापड़ बेलने पढ़ते हैं। इस मामले में यह सवाल भी है कि सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना जिन इंजीनियरों, कार्मिकों तथा निगम के उपायुक्त ने फाइलों पर हस्ताक्षर किए उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई। क्या निगम में ऐसे लोग सक्रिय हैं जो सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के बिना भी नक्शे स्वीकृत करवा देते हैं? निगम के आयुक्त हिमांशु गुप्ता (आईएएस) को इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषी अधिकारियों और कार्मिकों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। जानकार सूत्रों की माने तो गड़बड़ी की आशंका होने पर ही आयुक्त गुप्ता ने ही नक्शे को खारिज करवाने की कार्यवाही करवाई है। यह मामला नगर निगम की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है। यदि दोषी कार्मिकों और अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती हैं तो यह माना जाएगा कि अजमेर नगर निगम में कुछ भी संभव है।