तो राजस्थान में सचिन पायलट की सिफारिश से ही मिलेंगे टिकिट। जन्म दिन पर माला पहनाने वालों की जबर्दस्त भीड़।
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केरल में आई बाढ़ के मद्देनजर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने पहले ही कह दिया था कि इस बार उनका जन्म दिन सादगी से मनाया जाएगा। लेकिन 7 सितम्बर को प्रदेश भर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने अपने नजरिए से पायलट का जन्म दिन मनाया। जिला कांग्रेस कमेटियों ने अपने-अपने दफ्तरों में केक काटने की रस्म से लेकर अनेक आयोजन किए तो जयपुर में प्रदेश मुख्यालय पर पायलट स्वयं उपस्थित रहे। दूर दराज से आए किसी भी नेता और कार्यकर्ता को पायलट ने निराश नहीं किया। सभी से माला पहनी और शुभकामनाएं ली। पायलट दिनभर प्रदेश कार्यालय में उपस्थित रहे। चूंकि नवम्बर में विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए इस बार पायलट का जन्मदिन मनाने को लेकर नेताओं में कुछ ज्यादा ही उत्साह देखा गया। टिकट के दावेदारों ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में स्वयं के फोटो के साथ बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए। ऐसे दावेदारों ने पायलट को जयपुर में भी माला पहनाई। 7 सितम्बर को जिस तरह प्रदेश भर में पायलट के जन्मदिन के होर्डिंग लगे और प्रदेश कार्यालय में भीड़ रही उससे साफ संदेश है कि चुनाव में पायलट की सिफारिश से ही टिकिट मिलेगा। प्रदेश की राजनीति में तेजी के साथ बदलाव हो रहा है उससे भी कांग्रेस के कार्याकर्ताओं को लगने लगा है कि उम्मीदवार चयन का एक मात्र आधार पायलट की सिफारिश होगा। हालांकि कांग्रेस ने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया बनाई है, लेकिन प्रक्रिया पायलट से प्रभावी नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले चार वर्षों में पायलट ने प्रदेश भर में कांग्रेस संगठन को अपने पैरों पर खड़ा किया।
पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष का पद तब संभाला जब विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी। लोकसभा में सभी 25 सीटों पर हार मिली तो विधानसभा में 200 में से मात्र 21 विधायक ही कांग्रेस के टिकिट पर जीत दर्ज कर सके। लेकिन विधानसभा के चुनाव आते आते पायलट के नेतृत्व में लोकसभा के दोनों उपचुनाव और विधानसभा के अधिकांश उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। लोकसभा के उपचुनाव में तो सभी 16 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की एक तरफा जीत ने पायलट का झंडा बुलंद कर दिया। आज भले ही पायलट 41 वर्ष के हुए हो लेकिन उनका राजनीतिक कद कांग्रेस के 80 वर्ष के नेताओं से भी बड़ा है। यही वजह है कि पायलट को कांग्रेस में स्वाभाविक तौर पर मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है।