राहुल गांधी और फ्रांसुआ ओलांद के आरोपों का जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देना चाहिए। भले ही दोनों हारे हुए नेता हों।
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जिस प्रकार भारत में वर्ष 2014 में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार चुनाव हार गई, उसी प्रकार फ्रांस में भी फ्रांसुआ ओलांद की सोशलिस्ट पार्टी चुनाव हार गई थी। इसलिए रिपब्लिक एन मोर्चे के मकरोन ला फ्रांस के राष्ट्रपति बने। अमरीका की तरह फ्रांस में भी लगातार दो बार राष्ट्रपति बना जा सकता है, लेकिन ओलांद इतने अलोकप्रिय रहे कि उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं दिखाई। भले ही राहुल गांधी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद चुनाव में हारे हुए हो, लेकिन राफेल विमान सौदे में जो आरोप लगाए हैं उनका जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देना चाहिए। ओलांद का ताजा बयान सामने आने के बाद 22 सितम्बर को राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रेस काॅन्फ्रेंस की और कहा कि अब तो फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने भी नरेन्द्र मोदी को चोर कह दिया है। ऐसे में मोदी का राफेल डील पर अपनी सफाई देनी चाहिए। ऐसा ही गंभीर आरोप राहुल ने 20 सितम्बर को राजस्थान के सागवाड़ा में लगाया था, जब खुले मंच से प्रधानमंत्री के लिए चोर शब्द का इस्तेमाल किया गया। हालांकि राजनीतिक हलकों में चोर शब्द को लेकर राहुल की आलोचना भी हुई, लेकिन ओलांद के बयान के बाद राहुल ने चोर शब्द को और प्रभावी तरीके से जनता के सामने रखा है। भले ही ओलांद ने फ्रांस की वर्तमान मकरोन ला सरकार को भी घेरने की कोशिश की हो, लेकिन अब इस मुद्दे पर मोदी को सफाई देनी ही चाहिए। गत मानसून सत्र में जब राहुल गांधी ने यह मुद्दा उठाया था, तब मोदी का कहना था कि यह बचकाना हरकत है। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में सरकार को यह बताना चाहिए कि यूपीए सरकार के समय राफेल विमान की जो कीमत 590 करोड़ रुपए की थी वह वर्ष 2015 पर एडीए की सरकार में 1690 करोड़ कैसे हो गई। आॅफसेट पार्टनशिप के लिए अनिल अम्बानी की रिलायन्स डिफेंस कंपनी का प्रस्ताव करने पर भी अब प्रधानमंत्री को सफाई देनी चाहिए। चूंकि नवम्बर में देश के चार बडे राज्यों में विधानसभा के चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा के चुनाव होने हैं ऐसे में राफेल के मुद्दे को कांग्रेस लगातार गर्माए रखना चाहेगी।