सरकार ने महात्मा गांधी को सेनेट्री इंस्पेक्टर बना कर रख दिया-इतिहासकार इरफान हबीब।

सरकार ने महात्मा गांधी को सेनेट्री इंस्पेक्टर बना कर रख दिया-इतिहासकार इरफान हबीब। क्या विरोध करना ही मकसद है?
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महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर 2 अक्टूबर को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन का समापन समारोह हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर इस समारोह में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनिया गुटेरेज भी उपस्थित थे। विदेश प्रतिनिधियों के साथ-साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और मंत्रीमंडल के अधिकांश मंत्री भी उपस्थित रहे। यानि महात्मा गांधी के नाम को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। गुटेरेज ने भी भारत सरकार की इस बात के लिए तारीफ की कि महात्मा गांधी के उद्देश्य को आगे रख कर स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। आज पूरी दुनिया में स्वच्छता पर जोर दिया जा रहा है। पीएम मोदी ने भी बताया कि आम लोगों पर महात्मा गांधी के स्वच्छता के सिद्धांत का कितना असर है। लेकिन वहीं इतिहासकार प्रो इरफान ने कहा कि सरकार ने महात्मा गांधी को सेनेट्री इंस्पेक्टर बना कर रख दिया है। गांधी के आदर्श और मूल्य सर्वविदित हैं, लेकिन उनका उपयोग महज साफ-सफाई के संदर्भ में हो रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रो. हबीब ने सिर्फ विरोध करने के मकसद से यह बात कही है। चूंकि प्रो. हबीब इतिहासकार हैं, इसलिए यह अच्छी तरह जानते होंगे कि देश के इतिहास में यह पहला अवसर है जब महात्मा गांधी की जयंती के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव भारत में उपस्थित हैं। यूएनओ के महासचिव कितनी मशक्कत से आए होंगे, यह भी हबीब को पता होगा। महासचिव गुटेरेज के आने मात्र से ही दुनियाभर में महात्मा गांधी की नए संदर्भ में चर्चा हो रही है। सरकार ने तो महात्मा गांधी का सम्मान ही बढ़ाया है। गांधी जी ने स्वच्छता का जो संदेश दिया, उसे सरकार ने आत्मसात किया। सरकार चाहती तो अपने स्तर पर भी स्वच्छता का आयोग चला सकती थी। देखा जाए तो प्रो. हबीब ने सेनेट्री इंस्पेक्टर की टिप्पणी कर महात्मा गांधी का कद कम किया है। लोकतंत्र में विरोध जायज है, लेकिन विरोध जब ईष्र्या से हो तो फिर विरोध का भी महत्व नहीं रहता है। प्रो. हबीब की नाराजगी सरकार और पीएम मोदी से हो सकती है लेकिन उनकी नाराजगी देश और महात्मा गांधी से नहीं होनी चाहिए। आज देश दुनिया तेजी से करवट ले रहे हैं, ऐसे में इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब जैसों को भी अपनी सोच बदलनी चाहिए। नरेन्द्र मोदी का विरोध तो और कारणों से भी किया जा सकता है, लेकिन स्वच्छता अभियान को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। आज इसी स्वच्छता अभियान की वजह से लोगों की आंखों में भी बदलाव आया। अब लोग सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैंकने से बचने लगे हैं। महिलाएं भी घरों का कचरा सड़क पर फेंकने के बजाए पालिका के वाहन में डालती है। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनने से महिलाओं को बड़ी राहत मिली है।
एस.पी.मित्तल) (02-10-18)
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