ख्वाजा साहब की मजार से उतरे फूलों की खाद बनाने पर ऐतराज। खादिम अब नहीं देंगे मजार शरीफ के फूल। वेदांत समूह बना रहा है खाद
ख्वाजा साहब की मजार से उतरे फूलों की खाद बनाने पर ऐतराज। खादिम अब नहीं देंगे मजार शरीफ के फूल। वेदांत समूह बना रहा है खाद।
अजमेर स्थित संसार प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार पर पेश किए फूलों से खाद बनाने पर दरगाह के खादिम समुदाय ने कड़ा ऐतराज जताया है। 7 अक्टूबर की रात को दरगाह परिसर में खादिमों की एक बैठक हुई। इस बैठक में खादिमों की संसथा अंजुमन सैय्यद जादगान के सदस्य मुनव्वर चिश्ती, शमीम नियाजी, शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, सैय्यद जावेद चिश्ती, हसन हशमी, मुनव्वर अली, पीर नफीस मियां चिश्ती, अब्दुल नईम खान आदि ने कहा कि ख्वाजा साहब की मजार पर पेश फूलों से जायरीन की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती है। ऐसे में इन फूलों से खाद बनाना उचित नहीं है। खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान और शेखजादगाान के पदाधिकारियों ने खादिम समुदाय को विश्वास में लिए बिना ही उस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए जो दरगाह कमेटी और वेदांता समूह के बीच हुआ था। अब वेदांता समूह ही फूलांे की खाद बनाने का कार्य कर रहा है। बैठक में 100 से भी ज्यादा खादिम और अकीदत मंद उपस्थित थे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आठ अक्टूबर से मजार शरीफ पर पेश फूल खाद बनाने के लिए नहीं दिए जाएंगे। खादिम समुदाय अपने स्तर पर फूलांे का निस्तारण करेंगे। इसके लिए खादिम जावेद चिश्ती ने प्रस्ताव रखा कि उनकी सराधना स्थित जमीन पर फूलों को भूमिगत किया जा सकता है। खादिमों के ऐतराज से एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। उल्लेखनीय है कि वेदांता समूह ने अपने सामाजिक सरोकारों के अंतर्गत कायड़ विश्राम स्थली पर फूलों से खाद बनाने की मशीन लगाई है। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकबी की उपस्थिति में ही पिछले दिनों दरगाह कमेटी और वेदांता समूह के बीच एमओयू हुआ था।
खाद शब्द पर एतराज-अंजुमन सचिवः
खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यदजादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा ने कहा कि कुछ खादिमों के विरोध की जानकारी मिली है। ऐसा प्रतीत होता है कि खादिमों को खाद शब्द पर ऐतराज है। अंजुमन ने विस्तृत अध्ययन के बाद ही फूलों से खाद बनाने की अनुमति दी थी। अब यही कुछ खादिमों को ऐतराज है तो उससे बात कर समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी दरगाह कमेटी बावड़ी और कुओं में फूलों को डालती थी, तब खादिमों ने ही बेअदबी की शिकायत की। इसी को देखते हुए खाद बनाने पर सहमति बनी थी।
संवाद से निकालेंगे हल-नाजिमः
दरगाह कमेटी के नाजिम आईबी पीरजादा ने ताजा विवाद पर कहा कि खाद बनाने का निर्णय खादिमों की दोनों संस्थाओं की सहमति से हुआ था। दरगाह कमेटी को तो खादिम समुदाय फूल देता है, उसे कायड़ विश्राम स्थली तक पहुंचाने का काम करती है। यदि अब फूल नहीं दिए जाएंगे तो दरगाह कमेटी कुछ नहीं कर सकती। इस संबंध में नाराज खादिमो ंसे संवाद पर समाधान निकाला जाएगा।