अपने ही घर में धोखाधड़ी के आरोपों से घिरे शंकर छाप बीड़ी के मालिक हेमंत भाटी क्या अब सचिन पायलट से कांग्रेस का टिकिट ले पाएंगे?

अपने ही घर में धोखाधड़ी के आरोपों से घिरे शंकर छाप बीड़ी के मालिक हेमंत भाटी क्या अब सचिन पायलट से कांग्रेस का टिकिट ले पाएंगे? सगे भाई पूर्व मंत्री ललित भाटी ने ही खोल रखा है मोर्चा।
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जो लोक सार्वजनिक जीवन में होते हैं उन्हें घर का विवाद कितना भारी पड़ता है इसका ताजा उदाहरण प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और शंकर छाप बीड़ी के मालिक हेमंत भाटी का है। सब जानते हैं कि हेमंत भाटी अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस  का टिकिट चाहते हैं। भाटी ने गत बार भी चुनाव लड़ा था, तब करीब 25 हजार मतों से हार हुई थी। हेमंत को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट का संरक्षण प्राप्त है। पायलट की वजह से ही हेमंत प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने, लेकिन राजनीति के क्षेत्र में हेमंत को मात देने के लिए उनके सगे भाई और पूर्व मंत्री ललित भाटी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दोनों भाईयों का विवाद परिवार की करोड़ों रुपए की सम्पत्तियों और शंकर छाप बीड़ी के व्यापार को लेकर है। दोनों भाइयों की इस जंग में अब पंाचों बहनें भी कूद पड़ी हैं। भाटी बंधुओं की बहन मोहनी हलदर, रतिका राठौड़, मीना पिपरिया, पार्वती भाटी तथा सिम्पी वर्मा ने अदालत में इस्तगासा प्रस्तुत कर हेमंत पर दो करोड़ रुपए की एफडीआर हड़पने का आरोप लगाया है। कोतवाली पुलिस पर कोर्ट के आदेश से आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 व 120बी के अंर्गत जांच का कार्य कर रही है। वहीं ललित भाटी हेमंत भाटी पर अपने पिता का संयुक्त कारोबार साजिश पूर्वक हड़पने का आरोप लगाया है। चूंकि परिवार का झगड़ा अजमेर में मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है, इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या घर के विवादों के बाद भी हेमंत भाटी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट से टिकिट ले पाएंगे? चुनाव में किस कारण से हार हो जाए, कहा नहीं जा सकता है। ललित भाटी का भी सुरक्षित दक्षिण विधानसभा क्षेत्र पर खासा असर है। भाटी यहां से एक बार विधायक रह चुके हैं तथा 2008 में एनसीपी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। तब 20 हजार वोट हासिल किए थे। अब दोनों भाईयों में ऐसी जंग है कि एक दूसरे को मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा आरोपों के संबंध में हेमंत का कहना है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्होंने पुलिस को पहले ही सभी दस्तावेज उपलब्ध करवा दिए हैं। वहीं ललित भाटी का कहना है कि हेमंत ने जो धोखाधड़ी की है उसके विरुद्ध पूरा परिवार एक साथ खड़ा है। ऐसे में नैतिकता और ईमानदारी का अंदाजा लगाया जा सकता है। जो व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों के साथ धोखाधड़ी करने से नहीं चूका, वह राजनीति में क्या करेगा? इसमें कोई दो राय नहीं कि पिता शंकर सिंह भाटी के निधन के बाद हेमंत भाटी ने बीड़ी का कारोबार अपने कब्जे में लिया। हेमंत ने जमीन और होटल व्यवसाय भी बड़े पैमान पर कर रखा है। हालांकि पिता शंकर सिंह भटी ने अपनी राजनीति की विरासत ललित भाटी को ही दी थी, लेकिन अब हेमंत भाटी अपने भाई से राजनीति की विरासत भी छीनना चाहते हैं। ललित भाटी केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से भी विधायक रह चुके हैं। हेमंत की सक्रियता से ही ललित भाटी कांग्रेस की राजनीति में हाशिए पर चले गए हैं। देखना है कि परिवार का ताजा विवाद हेमंत भाटी को कितना राजनीतिक नुकसान पहुंचाता है।
एस.पी.मित्तल) (10-10-18)
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