रायशुमारी की पर्ची में भाजपा विधायकों ने अपना नाम प्रमुखता के साथ लिखवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

रायशुमारी की पर्ची में भाजपा विधायकों ने अपना नाम प्रमुखता के साथ लिखवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देवनानी की बस और भदेल की एसी कारों में जयपुर पहुंचे राय देने वाले।
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20 अक्टूबर को जयपुर में अजमेर जिले की 8 सीटों के लिए भाजपा की ओर से रायशुमारी हुई। इस राय शुमारी में अजमेर शहर की दो सीटों के लिए करीब डेढ़ सौ तथा देहात की 6 सीटों के लिए तीन सौ चयनित कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी अपने उत्तर विधानसभा क्षेत्र कार्यकर्ताओं को आरामदायक बस में तथा महिला राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल एसी कारों में ले गई। कार्यकर्ताओं को कोई असुविधा न हो, इसका पूरा ख्याल रखा गया। मसूदा की भाजपा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति भंवर सिंह पलाड़ा तो अपने क्षेत्र के पात्र कार्यकर्ताओं को 19 अक्टूबर को ही जयपुर ले गए, जो बचे उन्हें 20 अक्टूबर की सुबह पहुंचा दिया गया। पलाड़ा दम्पत्ति ने अपने कार्यकर्ताओं की आव भगत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कमोबेश ऐसी ही स्थिति जिले के अन्य विधायकों की भी रही। यही वजह रही है कि विधायक के सामने दावेदारी जताने वाले नेता अपने साथ पात्र कार्यकर्ताओं को ले जाने के लिए ढूढते रहे। कुछ को मिले भी तो पूर्व मंडल अध्यक्ष अथवा अन्य पूर्व पदाधिकारी। चूंकि मंडल अध्यक्ष से लेकर पार्षद तक विधायकों ने बनवाए हैं। इसलिए पर्ची में विधायकों का ही पलड़ा भारी रहा। रायशुमारी से साफ हो गया कि भाजपा का संगठन पूरी तरह सत्ता की गोद में बैठा है। जो जिला अध्यक्ष चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं उन्हें भी पर्ची में नाम लिखवाने के लिए विधायकों से मिन्नते करनी पड़ रही थी।
अजमेर जिले में सात विधायक भाजपा के हैं। इन सभी विधायकों को यह प्रयास रहा की पर्ची में पहले नम्बर पर उन्हीं का नाम लिखा जाए, दूसरे और तीसरे नम्बर पर ऐसे भाजपा नेता का नाम लिखा जाए जो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहता है। यानि गंभीरता के साथ दावेदारी करने वाले नेता का नाम न लिखा जाए। अजमेर उत्तर क्षेत्र में जो रणनीति बनी उसके अनुसार पहले नम्बर पर वर्तमान विधायक वासुदेव देवनानी का नाम तथा दूसरे व तीसरे नम्बर पर सीताराम शर्मा, रमेश सोनी जैसों के नाम लिखवाए गए। देवनानी के समर्थक किसी भी कार्यकर्ता  ने अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, कंवल प्रकाश किशनानी, नीरज जैन जैसे गंभीर दावेदारों के नाम नहीं लिखे। हालांकि 20 अक्टूबर की सुबह पार्षद जेके शर्मा ने राय देने वाले कार्यकर्ताओं से अपना विवेक इस्तेमाल करने की अपील की थी। उत्तर क्षेत्र में सबसे ज्यादा चर्चा पार्षद राजेन्द्र पंवार की रायशुमारी को लेकर है। पंवार पर पिछले दिनों ही एसीबी ने मुकदमा दर्ज किया था। हालांकि पिछले दिनों उच्च  न्यायालय से अग्रिम जमानत होने के बाद पंवार राजनीति में फिर से सक्रिय हो गए हैं। पंवार ने पार्षद का चुनाव भाजपा के बागी उम्मीद के तौर पर लड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पंवार की गतिविधियां भाजपा में तेज हो गई है। इसी प्रकार दक्षिण में भदेल के समर्थकों ने इस बात का ध्यान रखा कि पर्ची में जिला प्रमुख वंदना नोगिया और डाॅ. प्रियशील हाड़ा का नाम न हो। ब्यावर के भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत ने अपने मंडल अध्यक्षों के साथ मिल कर जो रणनीति बनाई उससे देवीशंकर भूतड़ा, महेन्द्र सिंह रावत, तिलक रावत आदि को दूर रखा गया। मसूदा में विधायक सुशील कंवर पलाड़ा की एक तरफा रणनीति रही। केकड़ी के भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम ने तो तीन दिन पहले से ही रणनीति बनाना शुरू कर दी थी। गौतम का भी यह प्रयास रहा कि पर्ची में अनिल मित्तल, बीपी सारस्वत जैसे नेताओं का नाम नहीं लिखा जावे। पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत को अपनी ही रावत जाति के दावेदारों से मुकाबला करना पड़ रहा है। रावत समुदाय से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सुरेश रावत के साथ-साथ अशोक सिंह रावत और राजेन्द्र सिंह रावत का नाम पर्ची में लिखा। होटल व्यवसायी राजेन्द्र महावर ने भी कुछ पर्चियों में अपना नाम लिखवाने में सफलता हासिल की। वहीं रावत जाति से जुड़े कपालेश्वर महादेव मंदिर के महंत सेवानंदगिरि ने भी अनेक पर्चियों में अपना नाम लिखवाया। हालांकि नसीराबाद में भाजपा का विधायक नहीं है, लेकिन रामस्वरूप लाम्बा से लेकर पुखराज पहाड़िया तक सक्रिय देखे गए। गुर्जर समुदाय के प्रतिनिधियों ने जहा गोपाल  गुर्जर, रोहित गुर्जर, योगेश सोनी आदि के नाम लिखे वहीं सरिता गैना, ओम प्रकाश भडाना, सुभाष काबरा, शिवराज च ौधरी आदि के नाम भी अंकित किए गए हैं।
कैसे होगा आंकलनः
भाजपा नेतृत्व की ओर से कहा गया कि उम्मीदवारों के चयन में कार्यकर्ताओं की राय महत्व रखेगी। यदि 20 अक्टूबर को तीन नामों वाली पर्चियों का आंकलन किया जाएगा तो भाजपा विधायकों के नाम ही उभर कर सामने आएंगे। जबकि यह कहा जा रहा है कि अजमेर जिले में 7 में से 4 विधायकों के टिकिट कटंेगे। टिकिट कटने की सूची में जिस विधायक का नाम पहले नम्बर पर है वो विधायक रायशुमारी की सूची में भी अव्वल है। इस रायशुमारी में तो 7 में से 1 भी विधायक का टिकिट नहीं कट सकता। विधायकों की इस दादागिरी के बारे में अन्य दावेदारों ने पहले ही बड़े नेताओं को बता दिया है।
एस.पी.मित्तल) (20-10-18)
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