मोहन भागवत और अमितशाह की मुलाकात के बाद भैय्याजी जोशी ने कहा कि जरुरत पड़ी तो मंदिर निर्माण के लिए 1992 जैसा आंदोलन करेंगे।

मोहन भागवत और अमितशाह की मुलाकात के बाद भैय्याजी जोशी ने कहा कि जरुरत पड़ी तो मंदिर निर्माण के लिए 1992 जैसा आंदोलन करेंगे।
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2 नवम्बर को मुम्बई में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक का समापन हुआ। अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद ही संघ के शीर्ष नेता भैय्याजी जोशी ने कहा कि यदि जरुरत हुई तो भगवान राम के मंदिर के लिए 1992 जैसा आंदोलन किया जाएगा। मालूम हो कि जब कल्याण सिंह भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री थे, तब 6 दिसम्बर 1992 को कार सेवकों ने अयोध्या में विवादित ढांचे को गिरा कर रामलला को विराजमान कर दिया था। इससे पहले देश भर में मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन चलाया गया। भैय्याजी जोशी ने कहा कि इलाहबाद हाईकोर्ट  का फैसला 2010 में आया था, तभी से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। यानि सात वर्ष गुजर जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तक नहीं हुई है। हाल ही में कोर्ट ने जिस तरीके से सुनवाई को अगले वर्ष तक के लिए टाला, वह हिन्दू समाज को चकित करने वाला है। जबकि कोर्ट में सिर्फ भूमि के मालिकाना हक का मामला लम्बित है। न्याय का इंतजार अब लाम्बा हो गया है। कोर्ट को लोगों की आस्था का ख्याल भी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट से न्याय मिलने में देरी हो रही है तो सरकार को कानून लाकर अयोध्या में मंदिर निर्माण करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सरकार को कानून बनाने की सलाह दी थी। 2 नवम्बर को जिस तरह संघ का बयान सामने आया है उससे यह प्रतीत होता है कि नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष होने वाले लोकसभा के चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा भुनाया जाएगा। अब यह देखना होगा कि संघ के इस दबाव का भाजपा पर कितना असर पड़ता है। संघ से जुड़े राज्यसभा के सांसद राकेश सिन्हा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि संसद के शीतकालीन सत्र में राममंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट बिल प्रस्तुत करेंगे। संघ का यह बयान इसलिए भी मायने रखता है कि 2 नवम्बर को मोहन भागवत और अमितशाह की मुलाकात के बाद सामने आया है। हालांकि संघ की बैठकों में भाजपा के नेता भाग लेते रहे हैं। इसी परंपरा के अनुरूप शाह ने भी बैठक में भाग लिया। माना जा रहा है कि शाह और भागवत की मुलाकात में पांच राज्यों के चुनावों पर भी चर्चा हुई है। बैठक में राजस्थान से संघ के बड़े पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
एस.पी.मित्तल) (02-11-18)
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