राजस्थान में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस दो दिन पीछे। 

राजस्थान में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस दो दिन पीछे। 
अशोक गहलोत ने पहले क्यों नहीं रखे अपने तर्क?
69 उम्मीदवारों के लिए भाजपा की बैठक 14 नवम्बर को दिल्ली में।
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राजस्थान में 7 दिसम्बर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। 12 नवम्बर से नामांकन शुरू हो चुके हैं। नामांकन की अंतिम तारीख 19 नवम्बर है। 18 नवम्बर को रविवार होने की वजह से नामांकन नहीं हो सकेंगे। 13 नवम्बर को नामांकन का दूसरा दिन गुजर जाने के बाद भी कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हो सकती है। जबकि भाजपा ने 200 में से 131 सीटों पर अपने उम्मीदवार 11 नवम्बर की रात को ही घोषित कर दिए थे। यानि उम्मीदवारों की घोषणा में कांग्रेस अब तक भाजपा से दो दिन पीछे हो गई है। भाजपा के उम्मीदवार जहां नामांकन की तैयारियां कर रहे हैं, वहीं कांगे्रस में अभी उम्मीदवारों की घोषणा का इंतजार किया जा रहा है। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद भाजपा में विरोध भी सामने आ चुका है और इस विरोध को धीरे-धीरे समाप्त भी किया जा रहा है, जबकि कांग्रेस में ऐसा विरोध अभी सामने आना है। भाजपा उम्मीदवारों ने प्रचार भी शुरू कर दिया है। कहा जा सकता है कि चुनाव के पहले दौर में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा आगे निकल गई। घोषित उम्मीदवार जहां नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं को मनाने में जुट गए हैं, वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता शांत बैठे हैं।
गहलोत की आपत्तियों के मायने:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को लग रहा था कि वे आसानी से अपने समर्थकों को टिकिट दिलवा देंगे। प्रभारी सचिवों से लेकर महासचिव तक पायलट ने अपने नजरिए से नियुक्त करवा लिए थे, लेकिन उम्मीदवारों पर पायलट की इस मशक्कत पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक झटके में पानी फेर दिया। यही वजह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कई दौर की बैठक हो जाने के बाद भी 13 नवम्बर तक कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची नहीं आई है। ऐनमौके पर गहलोत ने जो तर्क रखे हैं उनको लेकर स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा भी चक्करघिन्नी हो रही हैं। सवाल उठता है कि गहलोत ने उम्मीदवारों पर जो तर्क अब रखे हैं, वे पहले क्यों नहीं रखे? उम्मीदवारों पर मशक्कत तो पिछले एक माह से चल रही थी। पायलट के उम्मीदवारों के बारे में गहलोत पहले भी अपनी राय दे सकते थे। ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीति के जादूगर गहलोत ने पहले तो पायलट को दौड़ने का पूरा मौका दिया और अंत में स्वयं आकर खड़े हो गए। हो सकता है कि गहलोत कांग्रेस के हित में राय दे रहे हों, लेकिन यह राय शुरू में भी दी जा सकती थी। इसे गहलोत का जादू ही कहा जाएगा कि जो रामेश्वर डूडी कल तक पायलट के गुणगान कर रहे थे वो अचानक गहलोत के साथ आकर खड़े हो गए हैं। एक ओर कांग्रेस राजस्थान में सरकार बनाने का दावा कर रही है तो वहीं चुनाव के ऐनमौके पर कांग्रेस में विवाद नजर आ रहा है। हालांकि कांग्रेस के सभी नेता विवाद होने से इंकार कर रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि यदि विवाद नहीं होता तो अब तक उम्मीदवारों की घोषणा हो जाती। कहा जा रहा है कि 13 नवम्बर की रात तक पहली सूची जारी हो जाएगी। सूची के आने के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया भी देखनी होगी। कांग्रेस में चल रही खींचतान से भाजपा के नेता खुश हैं। हालांकि कई सीटों पर भाजपा में बगावत की स्थिति है, लेकिन नेताओं का मानना है कि ऐसी बगावत को सीएम वसुंधरा राजे जल्द समाप्त करवा देगी, क्योंकि अधिकांश बगावती सीएम के समर्थक ही हैं। फिलहाल इस बगावत को एक रणनीति के तहत माना जा रहा है।
भाजपा की बैठक 14 नवम्बर को दिल्ली मेंः
भाजपा ने 200 में से 131 उम्मीदवारों की घोषणा 11 नवम्बर की रात को की थी। शेष 69 उम्मीदवारों की घोषणा के लिए 14 नवम्बर को दिल्ली में भाजपा कोर कमेटी की बैठक रखी गई है। सूत्रों के अनुसार इस बैठक के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह से मुलाकात होगी और फिर शेष उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी। बैठक के लिए सीएम वसुंधरा राजे से लेकर चन्द्रशेखर तक दिल्ली पहुंच रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (13-11-18)
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