नसीराबाद में सहानुभूति की लहर पर सवार है भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप लाम्बा।
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Sp mittal
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November 30, 2018
नसीराबाद में सहानुभूति की लहर पर सवार है भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप लाम्बा। पांच वर्ष में यह पांचवां चुनाव है।
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अजमेर जिले के नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र को परंपरागत तौर पर कांगे्रस का गढ़ माना जाता है, लेकिन 7 दिसम्बर को होने वाले चुनाव में इस बार भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप लाम्बा सहानुभूति की लहर पर सवार हैं। प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से लाम्बा को उम्मीदवार बनाया है। लाम्बा स्वर्गीय सांवरलाल जाट के पुत्र हैं। यही वजह है कि इस बार लाम्बा को पिता की सहानुभूति का लाभ भी मिल रहा है। नसीराबाद ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां पांच वर्ष में चार बार चुनाव हो चुके हैं तथा अब पांचवीं बार चुनाव हो रहा है। यानि देखा जाए तो यहां हर वर्ष चुनाव हुए हैं। वर्ष 2013 में भाजपा उम्मीदवार सांवरलाल जाट ने कांग्रेस के महेन्द्र सिंह गुर्जर को 29 हजार मतों से हराया था, तब पहली बार लगा कि कांग्रेस का परंपरागतगढ़ ढह गया है। लेकिन 6 माह बाद ही जाट को लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया गया। जाट लोकसभा का चुनाव जीते, इसलिए नसीराबाद में विधानसभा के उपचुनाव करवाने पड़े। उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण गुर्जर जीते, लेकिन मात्र 386 मतों से। कहा जा रहा है कि यदि भाजपा के नेता एकजुटता दिखाते तो भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सरिता गैना की मामूली मतों के अंतर से हार नहीं होती। सांसद बनने के बाद सांवरलाल जाट केन्द्र में मंत्री भी बने, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने की वजह से उन्हें मंत्री पद से हटना भी पड़ा, लेकिन प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जाट को किसान आयोग का अध्यक्ष बना कर केबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया, लेकिन मई 2017 में जाट का निधन हो गया। ऐसे में जनवरी 2018 में लोकसभा के उपचुनाव कराने पड़े। सीएम ने स्वर्गीय जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा को उम्मीदवार बनाया, लेकिन लाम्बा 85 हजार मतों से हार गए। लेकिन भाजपा के लिए यह संतोष की बात रही कि नसीराबाद से मात्र 1530 मतों से पीछे रही। यानि विधानसभा के उपचुनाव में 386 मत तथा लोकसभा के उपचुनाव में नसीराबाद से मात्र 1530 मतों से भाजपा पीछे रही। दो बड़े चुनावों के परिणाम को देखते हुए ही सीएम राजे ने एक बार फिर लाम्बा पर ही दांव खेला है। इस बार भाजपा के लिए यह अनुकूल स्थिति है कि स्वर्गीय जाट की सहानुभूति के साथ-साथ भाजपा के प्रमुख नेताओं में भी एकजुटता है। उपचुनाव में मात्र 386 मतों से हारने वाली श्रीमती सरिता गैना पूरी ताकत के साथ लाम्बा को जीताने में लगी हुई है। हाल ही में पीसांगन में हुई सीएम की सभा में भीड़ जुटाने में गैना की सक्रिय भूमिका रही। भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष प्रो. बीपी सारस्वत लगातार नसीराबाद के दौरे कर रहे हैं। पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाड़िया, नसीराबाद नगर पालिका के अध्यक्ष योगेश सैनी, पूर्व प्रधान दिलीप पचार, पूर्व मंडल अध्यक्ष सुभाष काबरा आदि ने भी मोर्चा संभाल रखा है। गुर्जर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए भाजपा ओबीसी मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश भडाना, गोपाल गुर्जर सक्रिय हैं। इसी प्रकार सरपंच संघ के अध्यक्ष शक्तिसिंह रावत, शिवराज च ौधरी, रोहित गुर्जर आदि की टीम भी लाम्बा के पक्ष में कार्य कर रही है। जहां तक जातिगत मतदाताओं का सवाल है तो गुर्जर और मुसलमान मतदाताओं का रूझान कांग्रेस के पक्ष में है, जबकि जाट और रावत मतों का रूझान भाजपा के पक्ष में बताया जा रहा है। चुनावी खबरों के मुताबिक नसीराबाद का राजपूत समाज धीरे-धीरे लाम्बा के समर्थन में आ रहा है। असल में इस मामले में मसूदा की भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति और राजपूत समाज के प्रमुख नेता भंवर सिंह पलाड़ा की भूमिका सामने आई है। चूंकि मसूदा में जाट मतदाता निर्णायक स्थिति में आ गए हैं, इसलिए दोनों विधानसभा के समीकरणों को देखते हुए राजपूत और जाट मतदाताओं के प्रतिनिधियों ने निर्णय लिया है। जानकारों का मानना है कि दोनों उपचुनावों में कांग्रेस की जो बढ़त रही है उसे सहानुभूति की लहर से पाटा जा सकता है। जहां तक भाजपा कांग्रेस के उम्मीदवारों का सवाल है तो दोनों ही अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार रामनारायण गुर्जर के पास गिनाने के लिए अपनी कोई उपलब्धि नहीं है क्योंकि वे विपक्ष के विधायक रहे। अलबत्ता उनकी गुर्जर समुदाय में खासी पकड़ है। लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार को अपने क्षेत्र में अकेले ही संघर्ष करना पड़ रहा है।