अजमेर प्रशासन ने स्कूली बच्चों से दिलवाया मतदान जागरुकता का संदेश।
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आमतौर पर नेताओं पर यह आरोप लगता है कि भीड़ दिखाने के लिए स्कूली बच्चों का उपयोग किया जाता है। कुछ ऐसा ही 30 नवम्बर को अजमेर जिला प्रशासन ने मतदान जागरुकता के लिए किया। अजमेर में भी 7 दिसम्बर को विधानसभा के चुनाव होने हैं। निर्वाचन विभाग के निर्देश पर मतदान की जागरुकता के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जागरुकता अभियान का प्रभारी जिला परिषद के सीईओ अरुण गर्ग को बना रखा है। यदि जागरुकता का अभियान मतदाताओं के बीच चलाया जाता है तो उसके सार्थक परिणाम भी आएंगे। लेकिन 30 नवम्बर को प्रशासन ने अजमेर के पटेल मैदान पर सरकारी और निजी स्कूलों के 15 हजार बच्चों को जबरन बुलवाया और मतदान जागरुकता का संदेश दिया। सवाल उठता है कि जो बच्चे खुद मतदाता नहीं है उनसे मतदान का संदेश क्यों दिलवाया जा रहा है? शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश देकर बच्चों को एकत्रित तो कर लिया, लेकिन इस कार्यक्रम के परिणाम पर प्रश्न चिन्ह है। बच्चे स्कूल की पढ़ाई छोड़कर पटेल मैदान पर एकत्रित हुए। इससे प्रशासन को वाह वाही तो मिल सकती है। लेकिन परिणाम पर संदेह है । इस संबंध में सीईओ अरुण गर्ग का कहना है कि बच्चे ऊर्जावान होते हैं। यह बच्चे अब अपने माता-पिता को मतदान के लिए प्रेरित करेंगे। वहीं 15 हजार बच्चों को जबरन एकत्रित करने का यही तर्क है तो फिर ऐसे बच्चों को तो स्कूल में ही संदेश दिया जा सकता था। यह माना कि प्रशासन के दबाव में वेदांता ग्रुप ने लाखों रुपए पटेल मैदान के कार्यक्रम पर खर्च कर दिए है, लेकिन प्रशासन को 15 हजार बच्चों की तकलीफो का भी ध्यान रखना चाहिए। बच्चों के लिए सुबह ठंड में पढ़ाई छोड़कर पटेल मैदान में आना कोई सरल का कार्य नहीं था। वाह वाही लूटने के लिए जो तरीके नेता करते हैं वो ही प्रशासन ने भी किया है। यह माना कि मतदाता को मतदान के प्रति जागरुक होना चाहिए। प्रत्येक मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करें तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। अच्छा हो कि प्रशासन मतदाताओं के बीच जागरुकता अभियान चलाए।