सवालः-सचिन पायलट 4 वर्ष से संघर्ष कर रहे हैं आप राजस्थान क्यों नहीं छोडते?
जवाबः- राहुल गांधी कहेंगे, तब छोड़ दूंगा-अशोक गहलोत।
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सब जानते हैं कि राष्ट्रीय मीडिया से सचिन पायलट के अच्छे संबंध हैं। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने से पहले पायलट राष्ट्रीय राजनीति में ही सक्रिय थे। राजस्थान में 7 दिसम्बर को विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए राष्ट्रीय मीडिया के धुरंधर राजस्थान में डेरा जमाए हैं। इन्हीं में इंडिया टूडे ग्रुप के सलाहकार सम्पादक राजदीप देसाई भी शामिल हैं। 2 दिसम्बर को देसाई ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट से सवाल जवाब किए। पहले बात गहलोत की। राजदीप का लाम्बा सवाल था कि सचिन पायलट पिछले चार वर्षों से राजस्थान की राजनीति में संघर्ष कर रहे हैं आप राजस्थान क्यों नहीं छोड़ते? आप जब जब भी मुख्यमंत्री रहे, तब तब कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 2013 के चुनाव में तो कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली। क्या आपको दिल्ली का क्लाइमेट सूट नहीं कर रहा है? अब तो आप राष्ट्रीय नेता भी हो गए हैं? राजदीप के सवाल ऐसे थे, जो किसी भी राजनेता को परेशानी में डाल सकते थे। गहलोत भी समझ रहे थे कि ऐसे सवाल किस उद्देश्य से पूछे जा रहे हैं, इसलिए गहलोत ने दो टूक शब्दों में कहा कि जिस दिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कहेंगे उस दिन मैं राजस्थान छोड़ दूंगा। सचिन पायलट का नाम लिए बगैर गहलोत ने कहा कि यदि वे चार वर्ष से राजस्थान में संघर्ष कर रहे हैं तो मैं चालीस वर्ष से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हंू। मेरा तो राजनीति में कोई गोड फादर भी नहीं है। मैंने 1977 में पहली बार जोधपुर से टिकिट की मांग की थी, लेकिन उसके बाद कभी भी कुछ नहीं मांगा। मुझे कांगे्रस में बिना मांगे सब कुछ मिला है। राजनीति के जिस मुकाम पर आज मैं खड़ा हंू वह गांधी परिवार की देन है। मैं गांधी परिवार के लिए कुछ भी त्याग कर सकता हूं। मैं पहले भी कह चुका हंू कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री का चेहरा प्रस्तुत करने की परंपरा नहीं है। बहुमत मिलने पर विधायक दल की बैठक होती है और हाईकमान की सहमति से ही नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाता है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री के पद को लेकर कोई विवाद नहीं है। सभी नेता एकजुट होकर कांग्रेस को जीताने में लगे हुए हैं। गहलोत ने कहा कि मेरे पिछले कार्यकाल में 65 दिनों की राज्य कर्मचारियों की हड़ताल हुई। मैंने वो ही निर्णय लिया जो प्रदेश की जनता के हित में था। मुझे पता है कि पोलिंग पार्टिंयों में शामिल राज्य कर्मचारी मेरे खिलाफ नारे लगाते हुए गए थे। राजनीति में यह सब चलता है। मेरा प्रयास है कि इस बार राजस्थान में पूर्ण बहुमत वाली कांग्रेस की सरकार बने।
कोई विवाद नहीं है-पायलट:
राजदीप ने सचिन पायलट से भी मुलाकात की। सीधे सवालों का रटारटाया जवाब देते हुए पायलट ने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद को लेकर कांग्रेस में कोई विवाद नहीं है। सब जानते है कि मैंने जब प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला था, तब कांग्रेस के मात्र 21 विधायक थे। चार वर्ष तक मैंने कार्यकर्ताओं के साथ संघर्ष किया और आज प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। विधायक जिसे तय करेंगे, वो ही मुख्यमंत्री बनेगा। यह कहना गलत है कि मैंने अपने लोगों को ज्यादा टिकिट दिलवाएं हैं। राजस्थान में कांग्रेस के नेताओं के बीच कोई गुटबाजी नहीं है।
दोनों के पास हेलीकाॅप्टर:
गहलोत और पायलट चाहे कुछ भी कहें, लेकिन कांग्रेस आला कमान दोनों के बीच संतुलन बनाए हुए हैं। गहलोत और पायलट प्रदेश में ऐसे नेता हैं जिनके पास चुनावी दौरों के लिए हेलीकाॅप्टर हैं। राहुल गांधी अपने दौरों में दोनों को साथ रखते हैं। असल में राहुल को भी पता है कि गहलोत के सहयोग के बिना राजस्थान में कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकती है। अब देखना है कि बहुमत मिलने पर राहुल गांधी किसे सीएम बनाते हैं। वैसे सब जानते है कि राहुल की पहली पसंद कौन हैं।