राजस्थान में 75 प्रतिशत के पार मतदान किसके पक्ष में गुल खिलाएगा?

राजस्थान में 75 प्रतिशत के पार मतदान किसके पक्ष में गुल खिलाएगा?
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7 दिसम्बर को राजस्थान में दिन भर मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं की लम्बी कतारें लगी रही। अनुमान के अनुसार शाम पांच बजे तक मतदान का प्रतिशत 75 के पार हो रहा है। चूंकि इस बार वीवीपेट की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई इसलिए मतदान में ज्यादा समय लगा और शाम पांच बजे बाद भी केन्द्रों पर मतदाताओं की लाइनें देखी गई। चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार जो मतदाता सायं पांच बजे तक मतदान केन्द्र के परिसर में पहुंच गया है उसे हर हालत में मताधिकार मिलेगा। यही वजह रही कि कई केन्द्रों पर शाम छह बजे तक मतदान की संभावना दिखाई गई। 75 प्रतिशत के पार मतदान को लेकर अब राजस्थान की राजनीति में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अधिक मतदान किस राजनीतिक दल के पक्ष में गुल खिलाएगा। चुनाव विश्लेषकों आम तौर पर अधिक मतदान सत्ताधारी दल के खिलाफ होता है। यह माना जाता है कि लोगों ने गुस्से में मतदान किया है। लेकिन कई मायनों में अब यह परिभाषा भी बदल रही है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अपने राजनीतिक दल को मजबूत करने के लिए अधिक मतदान हो रहा है। हालांकि इस बार राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस ने प्रचार प्रसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व सीएम अशोक गहलोत लगातार दस दिनों तक हेलीकाॅप्टरों में घूमते रहे। इसी प्रकार राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने हेलीकाॅप्टर का उपयोग कार की तरह किया। यही वजह रही कि सीएम ने एक दिन में चार से छह सभाएं तक की। अधिक मतदान को लेकर दोनों ही प्रमुख दल उत्साहित है। कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवारों की वजह से भी मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रित पार्टी हो या फिर मायावती की बहुजन समाज पार्टी ऐसे राजनीतिक दलों की वजह से भी मतदान के प्रतिशत में वृद्धि हुई है। कांग्रेस को लगता है कि सरकार के प्रति जो नाराजगी रही उसी का परिणाम है कि मतदाताओं ने अधिक से अधिक संख्या में मतदान किया है। जबकि भाजपा के नेताओं का मानना रहा कि मतदाताओं ने दुबारा से भाजपा की सरकार बनाने के लिए अधिक संख्या में वोट दिया है। ऐसा आकर्षण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर भी रहा। भाजपा के नेताओं का कहना रहा कि अगले वर्ष मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी को दोबारा से प्रधानमंत्री बनाने के लिए यह जरूरी था कि राजस्थान में भाजपा की सरकार को फिर से बनाया जावे। यानि मोदी की वजह से भी मतदान का प्रतिशत बढ़ा। राजस्थान के लिए यह संतोष जनक बात है कि छिटपुट घटनाओं को छोड़कर प्रदेश भर में मतदान शांतिपूर्ण रहा है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में वीआईपी उम्मीदवार रहे वहां मतदान का प्रतिशत और ज्यादा रहा। इनमें सीएम वसुंधरा राजे की झालावाड और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की टोंक सीट शामिल हैं। झालावाड़ में सीएम को मात देने के लिए कांग्रेस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसौल के पुत्र मानवेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा तो वहीं टोंक में पायलट को हराने के लिए वसुंधरा मंत्रिमंडल में दूसरे नम्बर के माने जाने वाले मंत्री यूनुस खान उम्मीदवार बनाया हैं। भाजपा उम्मीदवारों के लिए इस चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। हिन्दुत्व को लेकर स्वयं सेवकों ने प्रत्येक घर में दस्तक दी है।
एस.पी.मित्तल) (07-12-18)
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