निर्दलीय विधायक सुरेश टांक की जनसुनवाई में उपस्थित रहे बड़ै अधिकारी।
समस्याओं का समाधान ही पहली प्राथमिकता।
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राजस्थान में मार्बल नगरी के नाम से प्रसिद्ध किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायक सुरेश टांक ने तीन जनवरी को अपने विधानसभा क्षेत्र की अरांई पंचायत समिति के मुख्यालय पर जनसुनवाई की। इस जनसुनवाई में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया। हालांकि सुरेश टांक निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन उनकी जनसुनवाई में क्षेत्र के उपखंड अधिकारी महेशचंद मान, तहसीलदार हेमराम विश्नोई, प्रधान रामलाल गेजण, पंचायत समिति के विकास अधिकारी, संबंधित विभागों के इंजीनियर अजय ठाकुर, स्वतंत्र सैनी, विनोद दमानी, हनुमान प्रसाद आदि उपस्थित रहे। टांक का कहना रहा कि आने वाले दिनों में ग्राम पंचायत स्तर पर भी जनसुनवाई की जाएगी। उनका उद्देश्य समस्याओं का समाधान करना है। किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने बड़े राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के मुकाबले में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मुझे अपना जनप्रतिनिधि चुना है। इसलिए मेरी पहली प्राथमिकता समस्याओं के समाधान की है। उन्होंने कहा कि विधायक फंड का उपयोग भी जनता की सहमति से किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि छोटे छोटे कार्यों के लिए ग्रामीणों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। जनसुनवाई में आज जो समस्याएं आई हैं उनकी समीक्षा वे स्वयं करेंगे। एक एक मतदाता को राहत देने की कोशिश की जाएगी। टांक ने कहा कि वे पांच वर्ष में मतदाताओं को बताएंगे कि उनका जनप्रतिनिधि किस तरह से सेवाभावी होना चाहिए। बिना किसी भेदभाव के वे किशनगढ़ का विकास करेंगे। चूंकि वे मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं इसलिए उन्हें मार्बल उद्यमियों और श्रमिकों की समस्याओं का भी पता है। उनका प्रयास होगा कि दोनों ही वर्गों की समस्याओं का समाधान तत्परता से किया जावे। किशनगढ़ क्षेत्र के मतदाता मोबाइल नम्बर 9414010882 पर सुरेश टांक से सीधा संवाद कर सकते हैं।
दोनों दल सम्पर्क में:
जानकार सूत्रों के अनुसार निर्दलीय विधायक सुरेश टांक से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के बड़े नेता सम्पर्क में हैं। मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर टांक का राजनीतिक महत्व दोनों दलों में बढ़ गया है। असल में टांक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 17 हजार से भी अधिक मतों से जीत हासिल की है। विधानसभा चुनाव से पहले टांक भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य थे, लेकिन उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर टांक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।