तो 700 चयनित आरएएस के धरने से डर गई कांग्रेस की गहलोत सरकार।
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Sp mittal
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January 18, 2019
तो 700 चयनित आरएएस के धरने से डर गई कांग्रेस की गहलोत सरकार।
निजी समारोह स्थल पर भी धरने पर रोक लगाई।
कहां गई अभिव्यक्ति की आजादी?
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राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2016 में जिन अभ्यर्थियों को आरएएस परीक्षा में सफल घोषित किया वो आज भी नियुक्ति के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। गत भाजपा सरकार ने तो करीब 700 युवाओं के धरना प्रदर्शन की चिंता भी नहीं की, लेकिन अब कांगे्रस के राज में तो ऐसे अभ्यर्थियों को धरना भी नहीं देने दिया जा रहा है। पहले इन अभ्यर्थियों को सार्वजनिक स्थलों पर धरना देने से रोका गया और अब 17 जनवरी को एक निजी समारोह स्थल पर दिए जा रहे धरने पर भी रोक लगा दी। पिछले 15 दिनों में 700 अभ्यर्थी जयपुर के महेश नगर में संचालित शांतिकुंज मेरिज गार्डन में शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। चयनित अभ्यर्थी सुबह धरने पर बैठते और शाम को अपने घर चले जाते थे। 17 जनवरी को महेश नगर क्षेत्र के थानाधिकारी ने गार्डन के मालिक को हिदायत दी कि धरने के लिए जगह नहीं दी जाए। पुलिस की धमकी के बाद अभ्यर्थियों को गार्डन में धरना देने से रोक दिया गया, जबकि अभ्यर्थी प्रतिदिन 10 हजार रुपए किराए का भुगतान भी कर रहे थे। सवाल उठता है कि जो कांग्रेस पार्टी अभिव्यक्ति की आजादी की पक्षधर है, उस पार्टी की सरकार 700 अभ्यर्थियों के धरने से क्यों डर गई? जबकि धरना किसी भी सार्वजनिक स्थल पर नहीं दिया जा रहा था। असल में ऐसे नाराज अभ्यर्थियों और युवाओं की समस्याओं को भुना कर ही कांग्रेस सत्ता में आई, लेकिन अब समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। सरकार के खिलाफ माहौल न बने इसलिए निजी समारोह स्थल पर भी धरने से रोका गया है। ऐसे में कांगेस सरकार में अभिव्यक्ति की आजादी की परवाह किसी को भी नहीं है।
यह है मामला:
आयोग से चयनित होने के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा का दायित्व संभालने जा रहे युवाओं ने राज्य सरकार की निर्धारित प्रक्रिया के तहत मेडिकल आदि भी करवा लिया था। बस नियुक्ति का इंतजार था, लेकिन एसबीसी के आरक्षण को लेकर मामला अदालत में चला गया। भाजपा के शासन में कांग्रेस ने आरोप लगाया ताकि सरकार अभ्यर्थियों को राहत देना नहीं चाहती है। सरकार चाहे तो कुछ सीटों को छोड़ कर शेष पर नियुक्ति दे सकती है। लेकिन अब सत्ता में आते ही कांगेस अपने वायदे से मुकर गई। कांग्रेस के शासन में तो अभ्यर्थियों को धरना तक देने नहीं दिया जा रहा है। जबकि सभी 700 अभ्यर्थी जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं राज्य प्रशाासनिक सेवा में चयनित हुए हैं।