प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने पर आखिर कांग्रेस का दर्द छलका।

प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने पर आखिर कांग्रेस का दर्द छलका।
बाबा रामदेव ने भी संन्यासी को भारत रत्न देने का मुद्दा उठाया।
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कांग्रेस के नेेता रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा भारत रत्न देने पर आखिर कांग्रेस का दर्द छलक ही गया। हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विट पर मुखर्जी को भारत देने पर शुभकामनाएं दी, लेकिन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता और कांग्रेस के भरोसेमंद नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी ने एक गायक भूपेन हजारिका तथा संघ विचारधारा के नानाजी देशमुख को भारत रत्न दे दिया, जबकि कर्नाटक मशहुर समाजसेवी स्वामी डाॅ. शिवकुमार की अनदेखी की। हालांकि खड़गे ने मुखर्जी का विरोध नहीं किया, लेकिन जिस तरह से भारत रत्न बांटने की बात कही, उससे प्रतीत हो रहा है कि मुखर्जी को भारत रत्न देने से कांगे्रस खुश नहीं है। सब जानते हैं कि मुखर्जी कांग्रेस में लम्बे अर्से से सक्रिय रहे, लेकिन गांधी परिवार के भरोसे नहीं रहे। यही वजह रही कि वरिष्ठता होने के बाद भी मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनने का अवसर नहीं मिला। हालांकि बाद में यूपीए के शासन में ही मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाया गया। इस निर्णय में कांग्रेस के बजाए सहयोग दलों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण थी। राहुल गांधी लगातार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आलोचना करते रहे हैं। संघ की हिन्दुत्व की विचारधारा को राहुल गांधी देश विरोधी मानते हैं। लेकिन उसी संघ के वार्षिक सम्मेलन में प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया। मुखर्जी के इस फैसले से भी कांगे्रस नाराज रही। स्वाभाविक है जिन मुखर्जी ने संघ के समारोह में शामिल होकर संघ की विचारधारा का समर्थन किया, उन मुखर्जी को भारत रत्न मिलने पर कांग्रेस कैसे खुश हो सकती है? मुखर्जी राष्ट्रपति बनने के बाद भले ही दलगत राजनीति से ऊपर उठ गए हों, लेकिन आज भी उनकी पहचान कांग्रेस नेता के तौर पर होती है। जब कांग्रेस लगातार संघ की आलोचना करती है तब मुखर्जी संघ का सम्मान बढ़ाने के लिए संघ के वार्षिक समारोह में भाग लेते हैं। हो सकता है कि संघ का सम्मान बढ़ाने की खातिर ही मुखर्जी को मोदी सरकार ने भारत रत्न से नवाजा हो। राजनीति में सब जायज है।
बाबा का मुद्दा:
योग गुरु और अरबों रुपए के कारोबारी बाबा रामदेव ने भी भारत रत्न को बांटने पर आपत्ति दर्ज करवाई है। बाबा ने सवाल किया है कि आखिर किसी संन्यासी को भारत रत्न कब मिलेगा? बाबा ने स्वयं का नाम तो नहीं गिनाया, लेकिन स्वामी दयानंद और विवेकानंद का नाम लेकर कहा कि किसी संन्यासी को भी भारत रत्न दिया जाना चाहिए। सब जानते हैं कि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनवाने में बाबा रामदेव की भी भूमिका रही है। बाबा की भी इच्छा होगी कि उन्हें भी भारत रत्न मिले। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में घर-घर में योग के प्रति जागरुकता जगाने में बाबा रामदेव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन बाबा जिस तरह से कारोबारी हुए हैं उससे उनके समाजसेवा के कार्यों पर पानी फिर गया है। आज बाबा रामदेव का हर काम व्यावसायिक नजरिए से होता है। यही वजह है कि बड़े बड़े न्यूज चैनल और अखबार वाले बाबा के इशारे पर उछल कूद करते हैं। बाबा की पंतजलि फर्म आज सबसे ज्यादा विज्ञापन मीडिया को देती है। बाबा रामदेव भारत रत्न के तब हकदार होते जब योग और आयुर्वेद का व्यावसायिक करण नहीं होता।
एस.पी.मित्तल) (27-01-19)
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