क्या सचिन पायलट का बयान सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का टिकिट कटवाने के लिए है? जयपुर में हुई प्रदेश चुनाव समिति की बैठक।
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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा है कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें प्रदेश का डिप्टी सीएम बना कर बड़ा उपकार किया है। इसलिए अब उनके परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव में दावेदार नहीं हैं। यदि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य दावेदारी जताता है तो यह कांग्रेस के कार्यकर्ता के साथ अन्याय होगा। राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो पायलट का बयान सराहनीय है, लेकिन पायलट का यह बयान कूटनीति की दृष्टि से देखा जा रहा है। कांगे्रस में ही ऐसी चर्चा है कि पायलट ने यह बयान प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का लोकसभा चुनाव में टिकिट कटवाने के लिए दिया है। पूर्व में पायलट ने स्वयं वैभव की उम्मीदवारी का समर्थन किया था, लेकिन अब पायलट ने ऐसा बयान दिया है जिसमें वैभव की दावेदारी कमजोर होगी। पायलट कह सकेंगे कि जब पहली बार डिप्टी सीएम बनने पर वे संतुष्ट है तो फिर गहलोत को तो हाईकमान ने तीसरी बार सीएम बनने का मौका दिया है। ऐसे में गहलोत को भी परिवार के सदस्यों को छोड़कर कार्यकर्ताओं को मौका देना चाहिए। मालूम हो कि वैभव गहलोत के जोधपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा है। वैभव वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री हैं और पिछले कई वर्षों से राजनीति में सक्रिय है। वैभव का अपने पिता के काम काज में कोई दखल भी नहीं है। अब देखना है कि पायलट के ताजा बयान से वैभव गहलोत की दावेदारी पर कितना असर होता है। हालांकि पायलट के बच्चे अभी छोटे हैं, लेकिन उनकी माताजी श्रीमती रमा पायलट की उम्मीदवारी की हमेशा चर्चा होती रहती है। रमा पायलट पूर्व में सांसद भी रह चुकी है।
पायलट स्वयं हैं दो पदों पर:
सचिन पायलट भले ही कार्यकर्ताओं के हितों में त्याग की भावना दिखा रहे हों, लेकिन वर्तमान में पायलट दो पदों पर विराजमान हैं। प्रदेश का डिप्टी सीएम बनने के बाद भी पायलट ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद नहीं छोडा है। डिप्टी सीएम की हैसियत से पायलट पांच विभागों के केबिनेट मंत्री भी हैं। आमतौर पर जब संगठन का कोई पदाधिकारी सरकार में शामिल हो जाता है तो संगठन के पद से इस्तीफा दे देता है, लेकिन इसे पायलट का दमखम ही कहा जाएगा कि डिप्टी सीएम के साथ साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का कार्य भी कर रहे हैं। यही वजह है कि विधायक और मंत्री बनने के बाद पायलट के समर्थक पदाधिकारियों ने भी संगठन के पदों से इस्तीफा नहीं दिया है। यदि पायलट को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ न्यास करना ही है तो उन्हें अध्यक्ष पद छोड़ना चाहिए। जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव के बाद जब सीएम पद को लेकर दिल्ली में राहुल गांधी के समक्ष खींचतान हुई तो पायलट ने साफ कर दिया कि डिप्टी सीएम के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने रहेंगे। पायलट का दावा सीएम पद पर था, लेकिन सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के दखल से अशोक गहलोत को सीएम बनाया गया। हाईकमान के इस निर्णय से पायलट के समर्थकों में भारी निराशा रही। बाद में पायलट को गृह और वित्त जैसे विभागों से भी दूर रखा गया। इसे अशोक गहलोत का जादू ही कहा जाएगा कि पायलट को पंचायती राज, पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग दिए गए।
टिकिटों को लेकर मंथन:
6 फरवरी को प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक जयपुर में हुई। इस बैठक में सीएम अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट, राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे सहित चुनाव समिति के अधिकांश सदस्य मौजूद थे। बैठक के बाद पायलट ने कहा कि कांग्रेस को प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज करनी है इसलिए जीताऊ को उम्मीदवार बनाया जाएगा। आज की बैठक में उम्म्ीदवारों के चयन की रणनीति बनाई गई। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों के बारे में दिल्ली में राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष अंतिम निर्णय होगा।