राफेल पर लोकसभा चुनाव में ही मतदाताओं का फैसला आएगा। 
राहुल गांधी और विपक्ष इससे पहले किसी भी फैसले को नहीं मानेगे।
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13 फरवरी को संसद में संवैधानिक संस्था (सीएजी) की रिपोर्ट भी पेश हो गई। इस रिपोर्ट में भी माना गया है कि राफेल विमान सौदा फ्रांस सरकार से भारत के हित में हुआ है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जो समझौता किया उससे 17 प्रतिशत लागत कम हुई है। सीएजी का कहना है कि विमान खरीद में कोई अनियमितता नहीं है और न ही किसी कंपनी को फायदा पहुंचाया गया। चूंकि सीएजी एक संवैधानिक संस्था है इसलिए इसकी रिपोर्ट बहुत मायने रखती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी राफेल सौदे में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका को निराधार बताया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर लगातार आरोप लगाते रहे। अब राहुल ने सीएजी की रिपोर्ट को भी नकार दिया है। कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि सीएजी की रिपोर्ट उन राजीव महर्षि ने तैयार की है जो राफेल सौदे के समय केन्द्रीय वित्त सचिव थे। असल में कांग्रेस और विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट और संवैधानिक संस्थाओं के निर्णयों को स्वीकार नहीं करेंगे। विपक्ष खासकर राहुल गांधी को लगता है कि राफेल सौदे के जरिए प्रधानमंत्री मोदी को बेईमान साबित किया जा सकता है। चूंकि तीन राज्यों में कांग्रेस को सफलता मिल गई इसलिए कांग्रेस लोकसभा चुनाव तक राफेल का मुद्दा जिंदा रखेगी। राफेल विमान सौदे में बेईमानी हुई है या नहीं अब इसका फैसला लोकसभा के चुनाव में मतदाता ही करेंगे। देखना होगा कि राहुल गांधी के आरोपों पर देश के मतदाता कितना भरोसा करते हैं। हालांकि सरकार ने संसद में कई बार अपनी ईमानदारी प्रस्तुत कर दी है। जब कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और सीएजी की रिपोर्ट को ही नहीं मान रही तो फिर अब देश के मतदाता ही अपना निर्णय लोकसभा के चुनाव में देंगे।
एस.पी.मित्तल) (13-02-19)
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