गुर्जर आंदोलन को खत्म करने के लिए सीएम गहलोत ने कर्नल बैंसला से फोन पर बात की।

गुर्जर आंदोलन को खत्म करने के लिए सीएम गहलोत ने कर्नल बैंसला से फोन पर बात की।
गुर्जरों को कांग्रेस सरकार के बिल पर भरोसा नहीं।
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15 फरवरी को आठवें दिन भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला शाम तक सवाई माधोपुर के दिल्ली मुम्बई ट्रैक पर बैठे रहे। 13 फरवरी को राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का जो बिल स्वीकृत करवाया उस पर अभी तक भी गुर्जरों को भरोसा नहीं हुआ है। इसलिए यह वायदा करवाया जा रहा है कि यदि आरक्षण का मामला हाईकोर्ट में जाता है तो सरकार पूरा सहयोग करेगी। यानि ऐसा न हो कि कोर्ट में सुनवाई के समय सरकार निष्पक्ष हो जाए और गुर्जरों को आरक्षण मिलने पर रोक लग जाए। कर्नल बैंसला चाहते थे कि इस पर सरकार लिखित वायदा करे और कोई मंत्री ट्रैक पर आए। लेकिन सरकार के मुख्य पैरोकार पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने ट्रैक पर जाने से इंकार कर दिया। विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में धरना स्थल (रेल ट्रैक) पर कोई वार्ता नहीं हो सकती। हालांकि कर्नल बैंसला से वार्ता के लिए विश्वेन्द्र सिंह मलारना डूंगर स्टेशन के निकट भी आ गए, लेकिन कर्नल बैंसला मंत्री को ट्रैक पर ही बुलाने पर अड़े रहे। कर्नल की इस जिद पर विश्वेन्द्र सिंह का कहना रहा कि गुर्जर आंदोलन कर्नल बैंसला नहीं बल्कि उनके पुत्र विजय बैंसला चला रहे हैं।  बात बिगड़ती देख आईएएस नीरज के पवन ने सीधे सीएम अशोक गहलोत से सम्पर्क साधा। पवन ने जब कर्नल बैंसला और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के रुख के बारे में बताया तो सीएम गहलोत मोबाइल पर कर्नल बैंसला से बात करने को तैयार हो गए। चूंकि पवन भी बैंसला के साथ ही ट्रैक पर जमे हुए हैं, इसलिए उन्होंने हाथों हाथ सीएम की बात कर्नल बैंसला से करवा दी। सीएम ने भरोसा दिलाया कि यदि पांच प्रतिशत आरक्षण का मामला कोर्ट में जाता है तो सरकार गुर्जरों के पक्ष में खड़ी होगी। सीएम ने बैंसला से कहा कि रेल और सड़क मार्ग जाम होने से लोगों को परेशानी हो रही है। इसलिए जल्द से जल्द आंदोलन समाप्त किया जाए। हालांकि सीएम से मोबाइल पर वार्ता के बाद भी कर्नल बैंसला संतुष्ट नजर नहीं आए। 15 फरवरी को शाम तक भी कर्नल बैंसला रेल ट्रैक पर ही जमे हुए थे। वहीं आईएएस पवन को उम्मीद है कि गुर्जर आंदोलन जल्द समाप्त हो जाएगा। असल में अब पवन ही सरकार और गुर्जरों के बीच मध्यस्थ बने हुए हैं। अब जब पवन ने कर्नल बैंसला की बात सीधे सीएम गहलोत से करवा दी है तो उनकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। पवन का अब प्रयास है कि कर्नल बैंसला को सम्मान जनक तरीके से ट्रैक से उठाया जावे। इसलिए पवन अब बैंसला के पुत्र विजय बैंसला और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के बीच वार्ता करवाने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि यदि बैंसला के पुत्र की वार्ता सफल हो गई तो फिर विश्वेन्द्र सिंह रेल ट्रैक पर आ कर कर्नल बैंसला का आंदोलन समाप्त करवाएंगे।
एस.पी.मित्तल) (15-02-19)
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