राजस्थान में गुर्जर आंदोलन समाप्त।

राजस्थान में गुर्जर आंदोलन समाप्त।
कर्नल बैंसला और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने डिप्टी सीएम सचिन पायलट का नाम तक नहीं लिया। 
सारा श्रेय सीएम अशोक गहलोत को दिया। आईएएस पवन भी सफल।
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16 फरवरी को राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन समाप्त हो गया। इसी के साथ सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर स्टेशन के निकट रेल ट्रैक पर बैठे गुर्जर भी अपने घर चले गए हैं। ट्रैक जाम होने से दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग पिछले आठ दिन से बंद पड़ा था। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला इसी ट्रैक पर गत 8 फरवरी से बैठे हुए थे। 16 फरवरी को बैंसला ने ट्रैक पर ही घोषणा की कि गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का नोटिफिकेशन राज्य सरकार ने जारी कर दिया है। अब यदि कोई कानूनी बाधा उत्पन्न होगी तो न्यायालय में राज्य सरकार पैरवी करेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भरोसा दिलाया है। वर्ष 2006 से अब तक हुए आंदोलन में गुर्जरों के खिलाफ जो मुकदमे दर्ज हुए हैं उन्हें खत्म करने के लिए सहानुभूतिपूर्वक विचार होगा तथा  देवनारायण योजना में आने वाली बाधाओं को भी समाप्त किया जाएगा। सरकारी नौकरियों में बैकलाॅग भी जल्द खत्म किया जाएगा। बैंसला ने कहा कि अब जब पांच प्रतिशत आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी हो गया है तो हमें रेल ट्रैक से हट जाना चाहिए। समझौते के लिए बैंसला ने सीएम अशोक गहलोत का आभार प्रकट किया और कहा कि गहलोत ओबीसी वर्ग के ऐसे नेता हैं जो तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। बैंसला ने पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के प्रयासों की भी प्रशंसा की, लेकिन एक बार भी डिप्टी सीएम सचिन पायलट का नाम नहीं लिया। इसी प्रकार विश्वेन्द्र सिंह ने भी समझौते का श्रेय सीएम गहलोत को दिया। 15 फरवरी को भी बैंसला ने सीधे गहलोत से ही बात की थी। बैंसला का कहना था कि सरकार ने विधानसभा में जो विधेयक पास किया है उसके अनुरूप लिखित समझौता भी करें। गहलोत ने बैंसला की बात को माना और 16 फरवरी को लिख कर दे दिया। इस पूरे प्रकरण में गुर्जर समुदाय के डिप्टी सीएम सचिन पायलट की भी भूमिका कहीं भी सामने  नहीं आई। आंदोलन को समाप्त करवाने का सारा श्रेय सीएम को ही मिला। सीएम की संवेदनशीलता की वजह से बैंसला की यह जिद्द भी पूरी की गई कि सरकार रेल ट्रैक पर आकर ही मिले। 16 फरवरी को पर्यटनमंत्री विश्वेन्द्र सिंह सरकार का लिखित वायदा लेकर ट्रैक पर ही पहुंचे। जिस तरह से गुर्जर आंदोलन समाप्त हुआ, उसको लेकर अब राजनीतिक हलकों में चर्चा हो रही है। सवाल उठ रहा है कि इस मामले में पायलट की भूमिका नजर क्यों नहीं आई? जबकि विधानसभा के चुनाव में पायलट को लेकर प्रदेश के गुर्जर समुदाय में भारी उत्साह देखा गया था। चाहे विधानसभा में पांच प्रतिशत आरक्षण देने का बिल हो या फिर आंदोलन के दौरान वार्ता के दौर, कहीं भी पायलट की भूमिका नजर नहीं आई और पूरा गुर्जर समुदाय सीएम गहलोत की प्रशंसा कर रहा है। आंदोलन समाप्त होने के बाद भी पायलट की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
आईएएस पवन सफलः
गुर्जर आंदोलन के दौरान आईएएस नीरज के पवन की सक्रिय भूमिका देखी गई। कई बार जब कर्नल बैंसला और सरकार के बीच तनातनी हुई तो पवन ही मध्यस्थ बने। एक बार तो सरकार के पैरोकार और पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने रेल ट्रैक पर आने से मना कर दिया , लेकिन फिर भी पवन ने दोनों के बीच वार्ता का दौर जारी रखा। 15 फरवरी को भी जब विश्वेन्द्र सिंह और बैंसला के बीच तनातनी हुई तो पवन ने बैंसला की सीधे सीएम गहलोत से बात करवा दी। इसे पवन की सफलता ही कहा जाएगा कि 16 फरवरी को मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को भी ट्रैक पर ले आए और आंदोलन को समाप्त करवाने की घोषणा करवाई। पवन के प्रयासों की प्रशंसा कर्नल बैंसला ने भी की है।
एस.पी.मित्तल) (16-02-19)
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