निकिता ने पति के शव के ताबूत को चूम कर आईलव यू कहा।
बाड़मेर में देशद्रोहियों ने शहीद सर्किल को तोड़ा।
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पूरी दुनिया में भारत एक मात्र देश होगा, जहां देशद्रोही आराम और दादागिरी से रहते हैं। जब ऐसे देशद्रोहियों के खिलाफ कार्यवाही होती है तो देश में असहिष्णुता और डर का माहौल बता दिया जाता है। ऐसे लोगों में तथाकथित बुद्धिजीवी, कलाकार और मानवाधिकारों के झंडाबरदार शामिल होते हैं। सब जानते हैं कि 18 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के साथ हो रहे एनकाउंटर में भारतीय सेना के मेजर विभूति शंकर ढोंढियाल और तीन जवान शहीद हुए थे। मेजर ढोंढियाल का एक वर्ष पहले ही विवाह हुआ था। 19 फरवरी को मेजर ढोंढियाल का शव जब एक ताबूत में रख कर अंतिम संस्कार के लिए लाया गया तो पत्नी निकिता बेसुध देखी गई। माहौल तब और गमगीन हो गया, जब निकिता ने ताबूत को चूमते हुए कहा आई लव यू। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कैसा दृश्य रहा होगा। इसी प्रकार 19 फरवरी को ही राजस्थान के खेतड़ी (झुंझुनूं) में हवलदार श्योराम का अंतिम संस्कार हो रहा था, तब पत्नी एक बच्चे को जन्म दे रही थी। श्योराम भी 18 फरवरी को ही मेजर ढोंढियाल के साथ शहीद हुए थे। 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवानों की मौत के बाद से ही देशभर में ऐसे दृश्य देखने को मिल रहे हैं। पूरे देश का माहौल गमगीन है। कहीं वृद्ध माता-पिता की पीडा है तो कहीं पत्नी और बच्चों का विलाप। ऐसे माहौल में जब हमारे सुरक्षा बलों की हौंसला अफजाई होनी चाहिए तब राजस्थान के बाड़मेर में शहीद सर्किल को क्षतिग्रस्त करने की शर्मनाक घटना हो रही है। बाड़मेर पाकिस्तान की सीमा से लगा शहर है। शहीदों की याद में ही यहां सर्किल बनाया गया है। यहां बने एक स्मारक पर देश के लिए जान न्यौंछावर करने वाले जवानों के नाम लिखे हैं तथा जांबाज सैनिक के चिन्ह टोपी, बंदूक आदि हैं, लेकिन 18 फरवरी की रात को देशद्रोहियों ने शहीद सर्किल को तोड़ दिया। यानि एक आरे निकिता अपने पति के शव के ताबूत को आईलवयू कह रही है तो दूसरी और देशद्रोही शहीद सर्किल को तोड़ रहे हैं। जिन तत्वों ने शहीद स्मारक को तोड़ा, उनकी निष्ठा भारत के साथ नहीं है। यानि ऐसे देशद्रोही भी भारत में गर्व के साथ रह रहे हैं। शहीद स्मारक को तोड़ने की घटना असामाजिकतत्वों की नहीं, बल्कि देशद्रोहियों की है। बाड़मेर की पुलिस इस मामले में लीपापोती के अलावा कोई कार्यवाही नहीं करेगी। पुलिस का प्रयास होगा कि जैसे तैसे मामले को ठंडा कर दिया जाए। पुलिस की ऐसी गतिविधियों से ही देशद्रोहियों के हौंसले बुलंद होते हैं। जो बुद्धिजीवी कलाकार और प्रगतिशील लेखक देश में असहिष्णुता की बात करते हैं। वे बताएं कि बाड़मेर में शहीद स्मारक को क्यों तोड़ा गया? वो भी तब जब पूरे देश में हमारे जवानों की मौत पर मातम का माहौल है। ऐसे संवेदनशील माहौल में भी शहीद स्मारक को तोड़ा जा रहा है, तब भी भारत में असहिष्णुता का माहौल बताया जाता है। देशद्रोही आखिर इस देश में कितनी दादागिरी करेंगे? क्या यही धर्मनिरपेक्ष देश की परिभाषा है? असहिष्णुता की बात करने वाले लोग बाड़मेर के शहीद स्मारक को तोड़ने की घटना पर चुप क्यों हैं?