कम से कम पाकिस्तान में गद्दार तो नहीं होते। भारत की सबसे बड़ी कमजोरी यही है।
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23 फरवरी को अकाली दल के कुछ कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर के लालचैक पर तिरंगा फहराने की कोशिश की तो जम्मू-कश्मीर पुलिस के हिरासत में ले लिया। यानि अपने ही देश में आप राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहरा सकते हैं। इसी प्रकार देश विरोधी गतिविधियों के अंतर्गत अलगाववादी नेता यासीन मलिक को गिरफ्तार किया तो जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने पूछा कि किस कानून में गिरफ्तारी हो रही है। 23 फरवरी को शाहनवाज और अकीब ने पूछताछ में बताया कि वे आतंकी गतिविधियों के लिए देवबंद में मुस्लिम युवाओं की भर्ती कर रहे थे। पुलिस 22 फरवरी को दोनों को ही यूपी के देवबंद से गिरफ्तार किया था। आतंकी गतिविधियों में लिप्त ये दोनों युवक कश्मीर को भारत से अलग करने की मुहिम में लगे हुए थे। यह सही है कि पुलवामा हमले के बाद देश के अनेक शहरों में मुस्लिम समुदाय ने पाकिस्तान के खिलाफ जुलूस निकाले और विरोध प्रदर्शन किए। पाकिस्तान को यह दिखाने का प्रयास किया कि आम मुसलमान को यह दिखाने का प्रयास किया कि आम मुसलमान पाकिस्तान के साथ नहीं है, पुलवामा हमले के बाद जिस प्रकार कुछ लोगों की गतिविधियों सामने आई, इससे जाहिर है कि भारत को सबसे बड़ा खतरा अपने ही देश के गद्दारों से है। सैन्य शक्ति में पाकिस्तान किसी स्तर पर भारत का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है, लेकिन पाकिस्तान को पता है कि भारत में उसके समर्थक बैठे हैं। पुलवामा हमले के बाद जिस तरह अनेक राजनेताओं के बयान सामने आए हैं उससे भी भारत की कमजोरी झलकती है। पाकिस्तान में ऐसा कोई राजनेता नहीं होगा, जो भारत की तरफदारी करे। पाक के सभी नेता एक स्वर में भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी से मतभेद होने के बाद भी पाकिस्तान के राजनीतिक भारत के विरोध में एक साथ हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं के बयान सबके सामने हैं। कुछ नेताओं को तो लगता है कि पाकिस्तान की तरफदारी कर लोकसभा के चुनाव में वोट हासिल किए जा सकते हैं। पुलवामा हमले के बाद भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बड़ी सफलता मिली है। अमरीका से लेकर इजराय तक ने भारत को आतंक के खिलाफ मदद का भरोसा दिलाया है, लेकिन भारत की सबसे बड़ी कमजोरी गद्दारों की है। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित मुख्यालय को पाकिस्तान की सेना ने अपने संरक्षण ले लिया है, ताकि भारत के किसी भी हमले से बचाया जा सके, इसके विपरीत हमारे यहां देवबंद में आतंकी पकड़े जा रहे हैं। यासीन मलिक की गिरफ्तारी के बाद 23 फरवरी को ही घाटी में कश्मीरी युवकों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके हैं। कश्मीरी युवकों की ऐसी गतिविधियों के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में रह रहे कश्मीरियों की सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार और राज्यों को नोटिस जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट का प्रयास है कि कश्मीर से बाहर रहने वाले किसी भी कश्मीरी युवक युवती को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि देश के प्रत्येक नागरिक का भारत पर अधिकार है। यह बात अलग है कि कश्मीर घाटी में अब राष्ट्रीय ध्वज फहराना भी मुश्किल हो गया है। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि कश्मीरियों की पूर्ण हिफाजत की जाएगी।