युद्ध के हालात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीति सक्रियता आखिर क्या दिखाती है।
by
Sp mittal
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February 28, 2019
युद्ध के हालात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीति सक्रियता आखिर क्या दिखाती है।
कांग्रेस ने नहीं की वर्किंग कमेटी की मिटिंग।
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28 फरवरी को भी तय कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के देशभर के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं से वीडियो काॅन्फ्रेंसिग के जरिए संवाद किया। 14 फरवरी को पुलवामा हमले और फिर भारत और पाकिस्तान के बीच जवाबी कार्यवाही के दौरान भी प्रधानमंत्री ने अपनी राजनीतिक और शासकीय गतिविधियों को जारी रखा। पीएम की इस सक्रियता को लेकर ही अब विपक्षी दल आलोचना कर रहे हैं। दिल्ली में 21 राजनीतिक दलों की बैठक में भी आरोप लगाया गया कि पीओके पर हमले का प्रधानमंत्री राजनीतिकरण कर रहे हैं। यहां तक कहा गया कि इस हमले से नरेन्द्र मोदी लोकसभा का चुनाव जीतना चाहते हैं। असल में राजनीति का चरित्र ही ऐसा है। जो लोग राजनीति करते हैं वे फायदा उठाने से पीछे नहीं रहते हैं। हो सकता है कि पीएम मोदी भी वर्तमान हालातों का राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या देश के प्रधानमंत्री को वर्तमान हालातों में चुप होकर बैठ जाना चाहिए। असल में आतंकवादी तो यही चाहते हैं कि भारत अस्थिर हो, जबकि पीएम का यह प्रयास नजर आता है कि वे भारत को सक्रिय और एकजुट दिखाना चाहते हैं। पीओके पर हमले के बाद किसी भी सभा में पीएम ने सैन्य कार्यवाही का जिक्र नहीं किया है। लेकिन सब जानते हैं कि जिस अंदाज में पीएम मोदी भाषण दे रहे है उससे लोकसभा के चुनाव में भाजपा को फायदा हो सकता है। शायद पीएम मोदी ने यह दिखाने की कोशिश की हो कि देश में माहौल कैसा भी हो, लेकिन केन्द्र की सरकार सुचारू रूप से काम करती रहेगी। इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी पीएम ने निर्धारित कार्यक्रमों में भाग लिया। चुनावी सभाओं को भी संबोधित किया तो सऊद अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का शानदार इस्तकबाल भी किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश इस समय नाजूक दौर से गुजर रहा है। किसी भी क्षण हालात बदल सकते हैं। 27 फरवरी को पाकिस्तान की ओर से हमारी सीमा में जो सैन्य कार्यवाही की गई उसके परिणाम सबके सामने हैं। पाकिस्तान अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान एक ओर वार्ता का प्रस्ताव करते हैं तो दूसरी ओर 28 फरवरी को भी पाकिस्तान की ओर से सीमा पर गोलाबारी की गई। यहां तक कहा गया कि पाकिस्तान के विमानों ने एक बार फिर सीमा का उल्लंघन किया है। यानि अभी भी दोनों देशों में तनाव बना हुआ है। हालांकि ताजा हालातों के मद्देनजर कांग्रेस ने 28 फरवरी को अहमदाबाद में होने वाली अपनी वर्किंग कमेटी की मिटिंग को टाल दिया है। हर राजनीति दल का अपना अपना नजरिया होता है, लेकिन देश के वर्तमान हालातों में भारत को एकजुट रहने की आवश्यकता है।
कार्यकर्ताओं को साीख:
28 फरवरी को पीएम मोदी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं से कहा कि वे लोकसभा चुनाव को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करें। भाजपा का एक कार्यकर्ता दस परिवारों की जिम्मेदारी ले। यदि एक कार्यकर्ता ने दस परिवारों से सम्पर्क कर लिया तो जीत निश्चित है। एक कार्यकर्ता के सवाल पर पीएम ने कहा कि वर्ष 2014 से 19 के कार्यकाल में लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति की गई है। जबकि वर्ष 19 से 24 के बीच अकांक्षाओं को पूरा किया जाएगा। देश को निराशा के माहौल से निकाला गया है और अब देशवासी उम्मीद के साथ भाजपा की ओर देख रहे हैं। पीएम मोदी ने देश में भ्रष्टाचार समाप्त होने और महंगाई कम होने का भी दावा किया।