ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए आएंगे पीएम मोदी।

ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए आएंगे पीएम मोदी।
परपंरा को तोड़ कर उर्स की चादर खादिमों को सौंपी। 
अमीन पठान बने सूत्रधार। 3 मार्च को चढ़ेगा झंडा।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वक्त मिलते ही अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत करेंगे। मोदी ने कहा कि जब वे गुजरात के सीएम थे, तब भी ख्वाजा साहब की दरगाह का तबर्रख ग्रहण करते रहे। उनकी ख्वाजा साहब के प्रति शुरू से ही अकीदत रही है। ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में प्रधानमंत्री की ओर से चादर भेजने की पंरपरा है। इसी क्रम में 2 मार्च को पीएम मोदी ने दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास पर दरगाह के खादिमों के प्रतिनिधियों को बुलाया। यह पहला अवसर रहा जब चादर के लिए खादिमों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया। इससे पहले किसी केन्द्रीय मंत्री को बुलाकर चादर सौंप दी जाती थी और सरकारी रस्म अदायगी के साथ चादर को मजार शरीफ पर पेश किया जाता था। लेकिन इस बार पीएम मोदी ने दरगाह की धार्मिक रस्मों को निभाने वाले खादिमों को बुलाया। मोदी के इस व्यवहार और पहल पर खािदमों ने भी खुशी जाहिर की है। बातचीत के  दौरान खादिमों ने मोदी को दरगाह आने का निमंत्रण दिया। मोदी ने निमंत्रण को स्वीकार करते हुए कहा कि वक्त मिलते ही वे ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत करने आएंगे। मोदी ने कहा कि ख्वाजा साहब ने सूफीवाद का जो पैगाम दिया उसी से दुनिया में अमन चैन कायम हो सकता है। ख्वाजा साहब के सूफीवाद के सिद्धांत में कट्टरवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने जो योजनाएं चलाई है उनका लाभ आम मुसलमान को भी मिलता है। मेरी सरकार में भेदभाव नहीं होता। मोदी ने कोई तीस मिनट तक मुस्लिम प्रतिनिधियों से संवाद किया। इस अवसर पर प्रतिनिधियों ने साउदी अरब द्वारा भारत का हज का कोटा 25 हजार बढ़ाने पर मोदी का शुक्रिया अदा भी किया। प्रतिनिधियों ने इस बात पर भी संतोष जताया कि इस्लामिक सहयोग संगठन के अधिवेशन में पहली बार भारत को आमंत्रित किया गया। इस पर मोदी ने कहा कि जब दो-तीन करोड़ आबादी वाले मुस्लिम देशों को बुलाया जा सकता है तो फिर भारत को क्यों नहीं? इस मुद्दे को उन्होंने साउदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के समक्ष उठाया था। उनके प्रयासों से इस बार भारत को भी विशिष्ट अतिथ के तौर पर आमंत्रित किया। मोदी ने कहा कि जब कभी पाकिस्तान के साथ विवाद होता था तब भारत में तनाव होता था, लेकिन इस बार जब युद्ध जैसे हालात रहे तब भी देश में अमनचैन कायम रहा। इतना ही नहीं दरगाहों और मस्जिदों में हमारे पायलट की रिहाई के लिए दुआएं की गई। दो मार्च को मोदी से मिलने वालों में ख्वाजा साहब की दरगाह खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोइन सरकार, शेखजादगान के अध्यक्ष जर्रार चिश्ती, सचिव डाॅ. अब्दुल माजीद चिश्ती, इस्लामिक कल्चर सेंटर के चेयरमैन सिराज कुरैशी, फिल्म निर्देशक मुज्जफर हुसैन, मुस्लिम प्रतिनिधि उमाद चिश्ती, निजामुद्दीन चिश्ती आदि शामिल थे। साथ ही केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी मौजूद रहे।
दस्तार बंदी:
मुलाकात के दौरान दरगाह के खादिमों ने सूफी परंपरा के अनुरूप पीएम मोदी की दस्तारबंदी की और उन्हें ख्वाजा साहब का तबर्रख भेंट किया। खादिमों प्रधानमंत्री के लिए दुआ भी की। पीएम ने दस्तारबंदी के लिए खादिमों का शुक्रिया अदा किया।
अमीन पठान सूत्रधार:
दो मार्च को प्रधानमंत्री आवास पर जो माहौल बना उसके सूत्रधार दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान रहे। असल में पठान का ही यह आईडा था कि प्रधानमंत्री की चादर दरगाह के खादिमों को सौंपी जाए। दरगाह की सभी धार्मिक रस्में खादिमों के द्वारा ही सम्पन्न होती है। ऐसे में खादिमों को पीएम की चादर सौंपना धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पठान के प्रयासों से ही खादिमों और प्रधानमंत्री के बीच सीधा संवाद हुआ। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने जिस तरह खादिमों के साथ व्यवहार किया उससे खादिम भी गद्गद हैं।
उर्स का झंडाः
ख्वाजा साहब के सालाना उर्स का झंडा तीन मार्च को दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ेगा। चांद दिखने पर  आगामी 8 मार्च को छह दिवसीय उर्स की शुरुआत होगी। माना जा रहा है कि छह मार्च को केन्द्रीय मंत्री नकवी और खादिमों की ओर से प्रधानमंत्री की चादर मजार शरीफ पर पेश की जाएगी।
एस.पी.मित्तल) (02-03-19)
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