कांग्रेस में ऐसी कवायाद तो विधानसभा चुनाव में भी हुई थी।

कांग्रेस में ऐसी कवायाद तो विधानसभा चुनाव में भी हुई थी।
क्या कार्यकर्ता की राय पर उम्मीदवार तय हुए? 
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राजस्थान में लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार तय करने के लिए आईटी तकनीक का जो उपयोग किया जा रहा है। उसको लेकर अब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में ही सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की ओर से प्रदेश भर में कार्यकर्ताओं को फोन किए जा रहे हैं। मैं अविनाश पांडे बोल रहा हंू के साथ ही कार्यकर्ताओं से पूछा जा रहा है कि किस नेता को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जावे। हालांकि यह सब रिकाॅर्डिंग है। कार्यकर्ता अपनी राय भी बर्द करवा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कार्यकर्ता की राय पर उम्मीदवार तय होगा? राय तब ली जा रही है जब उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम निर्णय बड़े नेता कर रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसी राय तो विधानसभा चुनाव में भी ली गई थी। लेकिन इस राय के मुताबिक उम्मीदवारों का चयन नहीं हुआ। बडे नेताओं को जो मानस बना रखा था उसी के अनुरूप उम्मीदवार तय हुए। जहां तक अविनाश पांडे के फोन का सवाल है तो सब जानते हैं कि ऐसी रायशुमारी किसी आईटी कंपनी के माध्यम से करवाई जाती है। यह भी पता नहीं कि इस रायशुमारी को बडे नेता देखते भी है या नहीं। अलबत्ता जिन कार्यकर्ताओं के पास फोन आ रहे हैं वो स्वयं को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस में अविनाश पांडे के फोन को लेकर भी चर्चा है। कायदे से ऐसी रायशुमारी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की ओर से की जानी चाहिए थी। विधानसभा चुनाव में ऐसा किया भी था, लेकिन इस बात पायलट के बजाए पांडे कार्यकर्ताओं को फोन कर रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि सरकार बन जाने के बाद पायलट की जगह पांडे फोन क्यों कर रहे हैं? जानकार सूत्रों के अनुसार दो मार्च को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अविनाश पांडे के बीच उम्मीदवारों को लेकर मंथन हुआ। ऐसा मंथन एक मार्च को भी हुआ था। मालूम हो कि विगत दिनों दिल्ली में संसदीय वार पदाधिकारियों से राय ली गई थी। लेकिन इस राय में सीएम गहलोत शामिल नहीं हुए। माना जा रहा है कि अनेक उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस में खींचतान चल रही है। प्रदेश प्रभारी की हैसियत से पांडे सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच तालमेल बैठाने में लगे हुए हैं। जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव में जो एकजुटता देखने को मिली थी वह लोकसभा चुनाव में नहीं मिल रही है। इसको लेकर हाईकमान भी चिंतित है।
अजमेर में कार्यकर्ता ले रहे हैं मजे:
अजमेर में जिन कार्यकर्ताओं के पास प्रभारी महासचिव के फोन आए हैं वे अब चुनाव के दावेदारों को मजे ले रहे हैं। जितने भी दावेदार है उन सबको कार्यकर्ता फोन कर कह रहे हैं कि उन्होंने उन्हीं का नाम सुझाया है। हालांकि कार्यकर्ताओं को एक ही नाम पर राय देनी थी, लेकिन कार्यकर्ता अब कई दावेदारों को भरोसा दिला रहे हैं कि उन्हीं के नाम पर राय दी है।
एस.पी.मित्तल) (02-03-19)
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