बाबर ने जो किया उस पर हमारा कंट्रोल नहीं था-सुप्रीम कोर्ट।

बाबर ने जो किया उस पर हमारा कंट्रोल नहीं था-सुप्रीम कोर्ट।
काश! आपसी सहमति से बन जाए अयोध्या में राम मंदिर।
कोर्ट की सकारात्मक पहल।
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छह मार्च को भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा है कि बाबर ने जो किया उस पर हमारा कंट्रोल नहीं था, लेकिन अब हमें भविष्य को देखना है। कोर्ट ने यह टिप्पणी अयोध्या विवाद में मध्यस्थ की भूमिका पर सुनवाई करते हुए की। जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय खंडपीठ का प्रयास है कि राम मंदिर का विवाद आपसी सहमति से निपटाया जाए। इसलिए कोर्ट ने सभी पक्षों से मध्यस्थों के नाम मांगे हैं। हालांकि सुनवाई के दौरान ही एक पक्षकार हिन्दू महासभा ने मध्यस्थ की भूमिका से इनकार कर दिया। महासभा की ओर से कहना रहा कि अयोध्या में रामलला विराजमान है इसलिए अब कोई मध्यस्थता नहीं हो सकती। यह कोई जमीन का विवाद नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का सवाल है। एक अन्य पक्षकार और भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मध्यस्थ का विरोध किया। स्वामी ने कहा कि यह समय बर्बाद करना होगा। लेकिन वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के इकबाल अंसारी और निर्मोही अखाड़े ने मध्यस्थता पर सहमति जताई। मध्यस्थ के माध्यम से विवाद को कैसे निपटाया जाए, इसे अभी सुप्रीम कोर्ट को तय करना है। सुप्रीम कोर्ट यह भी विचार करेगा कि मध्यस्थ के जरिए विवाद निपटाया जाए या नहीं। हो सकता है कि मध्यस्थतों का पैनल बनाकर विवाद का निपटारा हो, लेकिन कानून के अनुसार मध्यस्थता तभी संभव है जब विवाद से जुड़े सभी पक्ष एकमत हों। यदि कोई एक पक्ष मध्यस्थ का विरोध करता है तो फिर मध्यस्थता संभव नहीं है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भी मध्यस्थ का फार्मूला अपनाया गया था। लेकिन सभी पक्षों में आपसी सहमति नहीं हो सकी। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि यदि पुरातत्व विभाग की जांच में बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मिल जाएंगे तो फिर मंदिर का रास्ता निकल सकता है। पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में माना गया कि मस्जिद के नीचे मंदिर बना हुआ था, लेकिन इसके बाद भी दोनों पक्षों में सहमति नहीं हुई। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी विवादित जमीन के बंटवारे का निर्णय दिया है, लेकिन कोई भी पक्ष तैयार नहीं हुआ। इसलिए अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।  देखना होगा कि अब सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहता है। अलबत्ता देश में सद्भावना के लिए जरूरी है कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण आपसी सहमति से हो जाए।
एस.पी.मित्तल) (06-03-19)
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