तो अब अशोक गहलोत सरकार ही हटा रही है जस्टिस कोठारी को लोकायुक्त पद से।

तो अब अशोक गहलोत सरकार ही हटा रही है जस्टिस कोठारी को लोकायुक्त पद से। पहले भाजपा सरकार ने बरसाई थी मेहरबानी। लोकायुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष ही रहेगा।
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दावा तो बहुत किया जाता है कि संवैधानिक संस्थाएं निष्पक्ष होती हैं और सरकार बदलने से ऐसी संस्थाओं पर कोई असर नहीं होता। जिन संस्थाओं पर हाईकोर्ट के रिटायर जज नियुक्त होते हैं उनका महत्व तो ज्यादा माना जाता है। लेकिन राजस्थान में जस्टिस एसएस कोठारी को लोकायुक्त पद से हटाए जाने से प्रतीत होता है कि सरकार बदलने का असर ऐसी संस्थाओं पर भी होता है। सरकार लोकायुक्त जैसे पद पर भले ही हाईकोर्ट के रिटायर जज की नियुक्ति करे, लेकिन सरकार का अपना नजरिया होता है। सात मार्च को राज्य की कांग्रेस सरकार की अनुशंसा पर राज्यपाल कल्याण सिंह ने लोकायुक्त का कार्यकाल आठ वर्ष से घटा कर पांच वर्ष कर दिया। इस अध्यादेश के बाद अब जस्टिस कोठारी को लोकायुक्त का पद छोड़ना पड़ेगा, क्योंकि पूर्व में जारी अध्यादेश की वजह से ही जस्टिस कोठारी अभी तक लोकायुक्त के पद पर टिके हुए थे। लोकायुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष का ही होता है। कांग्रेस ने अपने गत शासन में जस्टिस कोठारी को पांच वर्ष के लिए ही लोकायुक्त बनाया था। तब भी गहलोत ही सीएम थे। चूंकि गहलोत ने अपनी सरकार के अंतिम दिनों में कोठारी को लोकायुक्त बनाया, इसलिए कोई चार वर्ष कोठारी ने भाजपा के शासन में लोकायुक्त का कार्य किया। भाजपा सरकार की सीएम वसुंधरा राजे कांगे्रस सरकार द्वारा नियुक्त किए गए लोकायुक्त जस्टिस कोठारी के कामकाज से इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने लोकायुक्त कानून में भी बदलाव कर लोकायुक्त का कार्यकाल पांच के बजाए आठ वर्ष कर दिया। फलस्वरूप जस्टिस कोठारी भाजपा सरकार में भी लोकायुक्त के पद पर टिके रहे। हालांकि तब कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की। बाद में यह मामला हाईकोर्ट में चला गया। जो अभी भी विचाराधीन है। लोकायुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष के बजाए आठ वर्ष किए जाने को असंवैधानिक बताया गया। आमतौर पर हाईकोर्ट के जज ऐसे विवादों से बचते हैं। लेकिन जस्टिस कोठारी ने भाजपा सरकार के फैसले को सही बताया और पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर भी पद नहीं छोड़ा। उल्टे अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते रहे। जस्टिस कोठारी के कार्यकाल में कितने भ्रष्ट कार्मिकों पर कार्यवाही हुई यह खोजबीन का विषय हो सकता है। सवाल यह भी है कि भाजपा सरकार ने लोकायुक्त का कार्यकाल क्यों बढ़ाया? कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद जस्टिस कोठारी को उम्मीद थी कि वे मार्च 2021 तक लोकायुक्त के पद पर जमे रहेंगे, लेकिन अब जब कांग्रेस सरकार फिर से कार्यकाल पांच वर्ष का कर दिया है तो जस्टिस कोठारी को पद छोड़ा ही पड़ेगा। यानि जिस कांग्रेस सरकार ने कोठारी को लोकायुक्त बनाया उसी सरकार में कोठारी को हटना पड़ रहा है। हो सकता है कि लोकायुक्त के पद से लोकायुक्त को आने वाली परेशानियों के बारे में मीडिया को बताएं। अक्सर ऐसी परेशानियां पद से हटने के बाद ही महसूस की जाती है। पद पर रहते हुए तो संबंधित व्यक्ति सरकार की सभी सुविधाओं का उपयोग करता है। और जब संविधान को बदल कर कार्यकाल बढ़ाया जाता है तो सरकार में कोई बुराई भी नजर नहीं आती है।
एस.पी.मित्तल) (07-03-19)
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