दलाल शांतिलाल के मोबाइल के संवाद को उजागर करे राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार।
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Sp mittal
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March 9, 2019
दलाल शांतिलाल के मोबाइल के संवाद को उजागर करे राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार। तभी सही मायने में ईमानदार माना जाएगा।
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राजस्थान की कांग्रेस सरकार के अधीन काम करने वाली एसीबी ने सात मार्च की रात को जयपुर में सीबीआई के इंस्पेक्टर प्रकाशचंद के लिए रिश्वत लेने वाले दलाल शांतिलाल आंचलिया को 30 लाख रुपए नकद और 45 लाख रुपए के सेल्फ 11 चेक के साथ गिरफ्तार किया। यह राशि जयपुर की आनंद भवन गृह निर्माण सहकारी समिति के किसी पदाधिकारी को बचाने के लिए ली जा रही थी। इंस्पेक्टर प्रकाशचंद इसी मामले में पहले 90 लाख रुपए वसूल कर चुका था। एसीबी पिछले कई माह से दलाल शांतिलाल के मोबाइल को टेप कर रही थी और तभी उसे रिश्वतखोरी की जानकारी मिली। एसीबी के सूत्रों का कहना है कि शांतिलाल केवल सीबीआई के इंस्पेक्टर का दलाल नहीं था, बल्कि उसके सम्पर्क में राजस्थान सरकार के आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस एवं अन्य प्रभावशाली अधिकारी थे। कई अफसरों के लिए शांतिलाल रिश्वत की राशि वसूलता था। शांतिलाल इतना होशियार था कि किसी भी पीड़ित को संबंधित अधिकारी का नाम भी नहीं लेने देता था। लेकिन मोबाइल पर हुए संवादों से जाहिर होता है कि किन लोगों से रिश्वत लेकर किस अधिकारी को दी गई। इसमें कोई दोराय नहीं की एसीबी के अधिकारियों ने पूरी ईमानदारी दिखाते हुए सीबीआई के खिलाफ कार्यवाही की है। सब जानते हैं कि एसीबी राज्य सरकार के अधीन काम करती है और इस समय राज्य की कांग्रेस सरकार का नेतृत्व अशोक गहलोत कर रहे हैं। अशोक गहलोत अपनी छवि को लेकर हमेशा सतर्क रहे हैं। आमतौर पर गहलोत की छवि ईमानदार मुख्यमंत्री की मानी गई है। इसलिए गहलोत निर्भीकता के साथ अपनी बात को रखते हैं। अब जब दलाल शांतिलाल के संवाद एसीबी के कब्जे में है तो फिर सरकार को पूरी ईमानदारी दिखाते हुए दलाल के संवाद सार्वजनिक कर देने चाहिए। ताकि उन अफसरों के चेहरे पर से नकाब हट सके जिन्होंने शांतिलाल के माध्यम से वसूली की है। यदि गहलोत ऐसा करते हैं तो उनकी छवि में और निखार आएगा। इसका असर लोकसभा के चुनाव पर भी पड़़ेगा। जब गहलोत दो माह की अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं तो इन्हीं उपलब्धियों में एक और शानदार उपलब्धि जुड़ जाएगी। इससे सरकार में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने में भी मदद मिलेगी। भ्रष्ट अफसरों का चेहरा बेनकाब होना ही चाहिए।