मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में चीन की अड़ंगेबाजी भारत के मुसलमानों के लिए सबक है।

मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में चीन की अड़ंगेबाजी भारत के मुसलमानों के लिए सबक है।
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सवाल यह नहीं कि चीन ने तकनीकी मुद्दा उठा कर पाकिस्तान में रह रहे भारत के दुश्मन नम्बर वन अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया, अहम सवाल यह है कि चीन में मुसलमानों पर जो अत्याचार हो रहे हैं उस पर मसूद अजहर क्यों चुप रहते हैं। भारत के मुसलमान खास कर कश्मीर के मुसलमानों को चीन का दोहरा चरित्र समझना होगा। हमारे कश्मीर में कश्मीरियों को अनुच्छेद 370 के अंतर्गत विशेष अािकार मिले हुए हैं। इसी प्रकार देश का आम मुसलमान अपने धर्म के अनुरूप रह सकता है। भारतीय संविधान में चाहें कुछ भी लिखा हो, लेकिन मुसलमान अपने धर्म के अनुरूप निर्णय ले सकता है। जो सुविधाएं भारत में हिन्दुओं को मिली हुई है वो ही मुसलमानों को मिलती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो बंगाली नागरिकों से ज्यादा मुसलमानों के हितों की बात करती हैं। बांग्लादेश से शरणार्थियों को भी भारतीय नागरिकता दी जा रही है। जबकि चीन में मुसलमानों को ऐसी सुविधा नहीं है। चीन में रहने वाले मुसलमानों को चीनी कानून मानना अनिवार्य है। चीन में एक संतान का ही प्रावधान है। इस कानून को मुसलमान भी मानते हैं। चीन में मस्जिदों पर माइक लगाने की रोक है। इस रोक का भी पूरी तरह पालन होता है। चीन में कानून नहीं मानने वाले को सरेआम गोली मार दी जाती है। चूंकि चीन में एक पार्टी का शासन है और विरोध में कोई पार्टी या नेता नही ंहै इसलिए कानून का बहुत सख्ती से पालन होता है। पाकिस्तान में बैठे मसूद अजहर जैसे मुस्लिम हिमायतियों को भारत के मुसलमान तो दिखते हैं, लेकिन चीन के मुसलमान नहीं। आज दुनिया में मुसलमानों पर सबसे ज्यादा चीन में अत्याचार हो रहे हैं। लेकिन मसूद अजहर एक शब्द भी नहीं बोलता है। असल में चीन और मसूद दोनों के हित जुड़े हुए हैं। चीन जो आर्थिक गलियारा बना रहा है वह पाकिस्तान से होकर भी गुजर रहा है। चीन नहीं चाहता है कि इस गलियारे का विरोध पाकिस्तान में हो। चीन का विरोध न हो, इसकी जिम्मेदारी मसूद ने ले रखी है। पाकिस्तान के क्षेत्र खास कर पीओके में चीन के आर्थिक गलियारे के निर्माण में मसूद की महत्वपूर्ण भूमिका है। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में जब मसूद को आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव आता है तो चीन अपने वीटो का इस्तेमाल कर प्रस्ताव को रद्द करवा देता है। 13 मार्च को भी चीन ने ऐसा ही किया। हालांकि भारत के प्रयासों को अमरीका सहित तीन और वीटो पावर वाले देशों का समर्थन मिल गया था, लेकिन चीन ने अपने निहित स्वार्थों की जह से मसूद को बचा लिया। यदि मसूद में मुसलमानों के प्रति हमदर्दी होती तो वह सबसे पहले चीन के खिलाफ आवाज उठाता। मसूद की चीन के मुसलमानों पर चुप्पी को भारत के मुसलमानों को समझना चाहिए। मसूद अजहर भी यह समझ ले की जब चीन का आर्थिक गलियारा तैयार हो जाएगा, तब मसूद चीन के काम का नहीं रहेगा। तब मसूद के साथ कुछ भी हो सकता है। भारत के अनेक मुस्लिम युवक मसूद के प्रति आकर्षित हैं, इसलिए मसूद के संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से भारत में आतंकी गतिविधियां की जाती है। मसूद और उनके समर्थक माने या नहीं लेकिन पूरी दुनिया में भारत में मुसलमान अमन चैन के साथ रह रहा है। भारत के सब लोगों को मिल कर पाकिस्तान और मसूद जैसे आतंकी के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (14-03-19)
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