अजमेर के मेयर गहलोत द्वारा कलेक्टर को नोटिस देना महंगा पड़ा।

अजमेर के मेयर गहलोत द्वारा कलेक्टर को नोटिस देना महंगा पड़ा।
13 व्यावसायिक भवनों के मानचित्रों का मामला अब एसीबी में जाएगा। मेयर, उपायुक्त, इंजीनियरों को दोषी माना है। 
कांग्रेस के पार्षद अब भी चुप।
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भाजपा के कब्जे वाले अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत द्वारा जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा को नोटिस दिया जाना अब मेयर के लिए महंगा साबित हो रहा है। निगम द्वारा स्वीकृत 13 व्यावसायिक भवनों के मानचित्रों को दोषपूर्ण माना गया है। इसके लिए मेयर गहलोत, उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता तथा संबंधित इंजीनियरों को जिम्ममेदार माना गया है। मानचित्रों की जांच स्वायत्त शासन विभाग द्वारा गठित कमेटी ने की है असल में निगम की आयुक्त चिन्मय गोपाल की रिपोर्ट पर जिला कलेक्टर ने जांच बैठाई थी, तब मेयर गहलोत ने कलेक्टर को नोटिस देकर पूछा कि आपने किस अधिकारों से जांच कमेटी गठित की है, जबकि 13 मानचित्रों पर निगम की साधारण सभा में मुहर गई है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार मेयर द्वारा कलेक्टर को नोटिस दिए जाने को राज्य की कांग्रेस सरकार ने बेहद गंभीर माना। यही वजह रही कि स्वायत्त शासन विभाग ने अजमेर के सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी। अब इसी जांच कमेटी ने सभी 13 व्यावसायिक माचित्रों को दोषपूर्ण माना है। एक एक मानचित्र के बारे में बताया है कि खामियां होने के बाद भी स्वीकृत किया गया। इतना ही नहीं ये मानचित्र तत्कालीन आयुक्त हिमांशु गुप्ता के अवकाश पर होने पर उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता से स्वीकृत करवाए गए। पहले गुप्ता ने भी ऐसी स्वीकृति पर आपत्ति जताई और मौजूदा आयुक्त चिन्मय गोपाल ने एतराज जताया है। लेकिन फिर भी मेयर के स्तर पर मानचित्रों को सही माना जा रहा है। अब चूंकि उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने सभी 13 व्यावसायिक मानचित्रों को दोषपूर्ण मान लिया है, इसलिए अब यह मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को दिए जाने पर विचार हो रहा है। सूत्रों की माने तो निगम की आयुक्त गोपाल ही सभी फाइलों को एसीबी में भेज सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह अपने तरीके का खास मामला होगा। हालांकि फिलहाल मेयर गहलोत इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से बच रहे हैं, लेकिन मेयर पहले कह चुके हैं कि मानचित्र नियमानुसार स्वीकृत हुए हैं। डीएलबी के निर्देशों पर निगम की साधारण सभा में मानचित्रों को स्वीकृत करवाया। मानचित्रों पर सभी पार्षदों की सहमति रही है।
कांग्रेस पार्षद चुप:
13 व्यावसायिक मानचित्रों को लेकर जहां प्रशासन में हलचल है, वहीं निगम में कांगे्रस पार्षद चुप हैं। हालांकि अब सारी कार्यवाही राजनीतिक नजरिए से हो रही है, लेकिन कांग्रेस के पार्षद भवन मालिकों के साथ ही खड़े हैं। निगम में कांग्रेस के 22 पार्षद हैं। शहर कांग्रेस  कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने  तो एक बयान जारी कर विवादित मानचित्रों की जांच करवाने की मांग की थी। जैन कांग्रेस पार्षदों की बैठक बुलाने की बात भी कही थी, लेकिन जैन अभी तक पार्षदों की बैठक करने में सफल नहीं हुए हैं।
ये हैं भवन मालिकः
13 व्यावसायिक भवन मालिकों में डिग्गी चैक स्थित आशादेवी, लोहागल निवासी नारायण विशनदास, गोपालदास हीरानंद, आगरा गेट स्थित उमराव कंवर, पुरानी मंडी स्थित अनूप कुवेरा, नीलत कुवेरा, रामगंज नई बस्ती में ललित गुप्ता, अनसुईया गुप्ता, योगेश गुप्ता, माया गुप्ता, तरुण गुप्ता, रेखा गुप्ता, मनीष गुप्ता, आशा गुप्ता, पड़ाव ब्यूकेसल रमेश हेमवानी, मयंक खंडेलवाल, चारू खंडेलवाल, केसरगंज में ईश्वरी देवी, पूनम मीना ईश्वरी, नीता, नीलम, पुलिस लाइन में भगवान सिंह चैहान, रामगंज में ओम प्रकाश माहेश्वरी, दरगाह बाजार में नंदलाल रुकमणि, कमल, डाॅ. सुंदर बालचंदानी तथा महावीर सर्किल पर सुनील सेठी के व्यावसायिक निर्माण शामिल हैं।
एस.पी.मित्तल) (19-03-19)
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