अजमेर नगर निगम की आईएएस आयुक्त के सरकारी आवास पर बना स्वीमिंग पूल अब चर्चा का विषय।

अजमेर नगर निगम की आईएएस आयुक्त के सरकारी आवास पर बना स्वीमिंग पूल अब चर्चा का विषय। लाखों की लागत से बने स्वीमिंग पूल की कोई नहीं ले रहा जिम्मेदारी। यह सरकारी अंधेरगर्दी है।
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अजमेर नगर निगम में आयुक्त के पद पर नियुक्त होने वाले आईएएस अफसरों को सार्वजनिक निर्माण विभाग ने सर्किट हाउस के नीचे बना आलीशान बंगला अलाॅट कर रखा है। चूंकि आयुक्त के पद पर आईएएस ही नियुक्त होते हैं। इसलिए पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर भी इस बंगले में सभी प्रकार की सुविधाएं जुटाते हैं। आमतौर पर आयुक्त के पद पर नियुक्त होने वाला आईएएस कलेक्टर बन जाता है। हिमांशु गुप्ता भी आयुक्त से सीधे बाड़मेर के कलेक्टर बन गए। गुप्ता के बाद आईएएस चिन्मया गोपाल की नियुक्ति निगम में आयुक्त के पद पर हुई। निगम के जिन कर्मचारियों का आयुक्त के निवास पर सरकारी काम से जाना होता है, उन्हें पता है कि सरकारी बंगले में आलीशान स्वीमिंग पूल बना हुआ है। इस स्वीमिंग पूल के फोटो भी निगम के कर्मचारियों के पास हैं। आज भी स्वीमिंग पूल को आयुक्त के निवास में देखा जा सकता है, लेकिन इसे आईएएस अफसरों का गड़बड़ झाला और सरकार की अंधेरगर्दी ही कहा जाएगा कि स्वीमिंग पूल की कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है। मौजूदा आयुक्त चिन्मया गोपाल ने कहा कि इस सवाल पर वह कोई कमेंट नहीं करंेगी, जिस आवास में वह रात दिन रह रही है, उसमें लाखों रुपए की लागत से बना स्वीमिंग पूल है या नहीं इसकी भी जानकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी चिन्मया गोपाल नहीं दे रही हैं। इतना ही नहीं पीडब्ल्यूडी के अधिक्षण अभियन्ता अशोक रंगवानी और सहायक अभियन्ता इंदर मूरजानी भी खामोश है। रंगवानी का कहना रहा कि वह स्वीमिंग पूल के बारे में मूरजानी से रिपोर्ट मंगवाएंगे। वहीं मूरजानी ने कहा कि निगम आयुक्त के आवास में स्वीमिंग पूल है या नहीं इसकी जानकारी रिकाॅर्ड कर देंगे। दोनों इंजीनियरों का जवाब ऐसा रहा जैसे किसी हजार पांच सौ रुपए की कुर्सी के बारे में पूछा गया है। यदि कोई अफसर तबादला होने पर गलती से कुर्सी भी ले जाता है तो पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर रिकवरी निकाल देते हैं, लेकिन लाखों रुपए की लागत वाले स्वीमिंग पूल पर ऐसे इंजीनियरों ने चुप्पी साध रखी है। सवाल उठता है कि क्या सरकारी बंगले का भौतिक सत्यापन नहीं होता? सरकारी बंगलों से जुड़े सूत्रों का मानना है कि स्वीमिंग पूल का कोई प्रावधान नहीं है यह बात अलग है कि कोई आईएएस ठेकेदारों को निर्देश देकर निर्माण करवा दे। अजमेर निगम के इंजीनियरों और ठेकेदारों को सब पता है इसलिए आईएएस ने सरकारी आवास में स्वीमिंग पूल बनवाया है, लेकिन इस स्वीमिंग पूल का कोई रिकाॅर्ड नहीं है। राज्य का पीडब्ल्यूडी विभाग डिप्टी सीएम सचिन पायलट के पास है। पायलट यदि अपने स्तर पर जांच करवाएंगे तो ही स्वीमिंग पूल की सच्चाई सामने आ सकती है।
एस.पी.मित्तल) (27-03-19)
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