मतदान की जागरुकता के लिए मानव श्रृंखला में यदि बच्चों ने नरेन्द्र मोदी के नारे लगाए तो क्या अजमेर के कलेक्टर और एसपी सस्पेंड होंगे? कांगे्रस की पूर्व मंत्री नसीम अख्तर के गृह क्षेत्र पुष्कर में मोदी के नारे लगने से स्कूल प्रिंसिपल को सस्पेंड किया।
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समझ में नहीं आता कि प्रशासन में बैठे अफसरों को सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से इतना डर क्यों लगता है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अजमेर में भी मतदाता जागरुकता के कार्यक्रम चल रहे हैं। इसी के अंतर्गत पांच अप्रैल को तीर्थनगरी पुष्कर से अजमेर शहर तक मानव श्रृंखला बनाई जाएगी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल को 200 बच्चे उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं, भले ही ऐसे बच्चे मतदाता न हो। सवाल उठता है कि मतदान जागरुकता के लिए बनने वाली इस 15 किलोमीटर लम्बी मानव श्रृंखला में यदि कुछ बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर नारे लगा दिए तो क्या अजमेर के कलेक्टर और एसपी को सस्पेंड कर दिया जाएगा। यह सवाल इसलिए उठा है कि एक अप्रैल को जब पुष्कर के सरकारी स्कूल के बच्चे जागरुकता अभियान के तहत रैली निकाल रहे थे तभी कुछ बच्चों ने मोदी को लेकर नारे लगा दिए। चुनाव आयोग ने नारा दिया है लोकतंत्र को कहनो है वोट सभी ने देनो है। जब बच्चों की रैली सकड़ी गालियों से गुजर रही थी कि तभी पुष्कर के कुछ व्यापारियों ने लोकतंत्र को कहनो है के बाद कह दिया वोट मोदी को देनो है। यही नारा बाद में बच्चों ने भी बोल दिया। चूंकि पुष्कर में कांग्रेस की पूर्व मंत्री नसीम अख्तर का दबदबा है और वे पूर्व में शिक्षा विभाग की राज्यमंत्री रही है, इसलिए अख्तर के समर्थकों ने तत्काल शिक्षा विभाग और प्रशासन के अधिकारियों से शिकायत कर दी। जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा के निर्देशों पर पुष्कर की सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल किशन सिंह रावत को सस्पेंड कर दिया गया। इतना ही नहीं रैली की निगरानी में लगी स्कूल की पांच शिक्षिकाओं को कारण बताओं नोटिस भी जारी कर दिए गए। प्रशासन की इस कार्यवाही से शिक्षा विभाग में खलबली मची हुई है। शिक्षकों को अब मतदाता जागरुकता के कार्यक्रमों में भाग लेने से भी डर लगने लगा है। मानव श्रृंखला की तैयारियों को लेकर दो अप्रैल को कलेक्टर और एसपी ने अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की। यानि मानव श्रृंखला की जिम्मेदारी कलेक्टर और एसपी की है। अब यदि पांच अप्रैल को किन्हीं बच्चों ने मोदी को लेकर नारे लगा दिए तो क्या एसपी और कलेक्टर को सस्पेंड कर दिया जाएगा? सवाल यह भी है कि आखिर मतदाता जागरुकता के लिए सरकारी स्कूल के बच्चों को ही क्यों बुलाया जाता है। जब जागरुकता मतदाताओं में होनी चाहिए तो फिर बच्चों का शोषण क्यों किया जाता है? अजमेर में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है इस गर्मी में ही स्कूली बच्चों को एक दूसरे का हाथ पकड़ कर घंटों धूप में खड़ा रहना पड़ेगा। अक्सर ऐसा होता है कि जब बच्चे खासकर लड़कियां धूप में खड़ी होती है तो कई बार बेहोश होकर गिर जाती हैं। चुनाव आयोग को आवश्यक निर्देश देकर स्कूली बच्चों को मतदाता जागरुकता अभियान से अलग करना चाहिए। पुष्कर की सरकारी स्कूल के जिन प्रिंसिपल को सस्पेंड किया है उसमें उनका कोई दोष नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भी बड़े अफसरों ने सत्ता में बैठे नेताओं को खुश करने के लिए किशन सिंह रावत को सस्पेंड कर दिया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन दिनों परीक्षाओं का मौसम भी चल रहा है, लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल को पाबंद किया गया है कि वे दो सौ बच्चों को लेकर मानव श्रृंखला में भाग लें।