आखिर अजमेर नगर निगम के उपायुक्त रलावता सहित चार इंजीनियरों को चार्जशीट थमाई। 

आखिर अजमेर नगर निगम के उपायुक्त रलावता सहित चार इंजीनियरों को चार्जशीट थमाई। 
राजनीतिक दबाव डलवाया तो खैर नहीं। 
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अजमेर नगर निगम में गिरोहबद्ध और गैर कानूनी तरीके से जो नक्शे स्वीकृत हो रहे थे, उस प्रकरण में उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता और इंजीनियरों को चार्जशीट थमा दी गई है। राजस्थान सिविल सेवा नियम 1958 के अंतर्गत दी गई चार्जशीट में आगाह किया है कि किसी भी उच्चाधिकारी पर राजनीतिक दबाव डलवाने की कोशिश नहीं की जाए। मालूम हो कि रलावता सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश सचिव महेन्द्र सिंह रलावता के भाई हैं। पांच चार्जशीट में सबसे गंभीर आरोप रलावता पर ही हैं। इंजीनियरों ने तो अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर फाइल पर मौका रिपोर्ट दी, लेकिन रलावता ने तो आयुक्त के अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए नक्शों की स्वीकृति जारी कर दी। हालांकि रलावता का कहना है कि नक्शों को स्वीकृत करने के अधिकार निगम की साधारण सभा मेयर ने दिए थे। लेकिन आरोप पत्र के अनुरूप किसी भी सरकारी अधिकारी को गलत आदेश  नहीं मानने चाहिए, क्योंकि अधिकारी पर सेवा नियम लागू होते हैंा। गंभीर बात यह है कि निगम के तत्कालीन आयुक्त हिमांशु गुप्ता के अवकाश वाले दिन ही रलावता ने नक्शे स्वीकृत किया। आरोप पत्र में माना गया है कि निगम में गिरोहबद्ध और नियमों के विरुद्ध नक्शे स्वीकृत हुए हैं। रलावता और आरोपी इंजीनियरों को निर्देश दिए है कि वे आगामी 15 दिवस में जवाब प्रस्तुत करें, यदि जवाब नहीं दिया जाता है तो नियमानुसार कार्यवाही शुरू हो जाएगी। आरोपित अधिकारी जरुरत होने पर नगर निगम कार्यालय में प्रकरण से संबंधित दस्तावेज देख सकते हैं। मालूम हो कि 13 व्यावसायिक नक्शों की नियम विरुद्ध स्वीकृति को लेकर ही चार्जशीट दी गई हैं। रलावता के साथ-साथ एईएन मनमोहन माथुर, रमेश चौधरी, जेईएन अंजुम अंसारी और राजेश मीणा को भी चार्जशीट दी गई हैं। इसी बीच निगम की आयुक्त चिन्मयी गोपाल ने 31 और भवन निर्माताओं को नोटिस जारी किए हैं। ऐसे निर्माता निगम में सक्रिय गिरोह के सहयोग से आवासीय नक्शों पर व्यावसायिक निर्माण धड़ल्ले से कर रहे हैं। हालांकि अब निर्माण कार्य बंद हो गया है, लेकिन ऐसे निर्माणों से भी निगम के काम काज की पोल खुलती हैं।
मेयर को भी नोटिस :
जिन मामलों में उपायुक्त और इंजीनियरों को आरोपी माना है उन्हीं में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को भी नोटिस दिए गए हैं। गहलोत के भी निलंबन की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन इस बीच गहलोत ने हाईकोर्ट की शरण ले ली। हाईकोर्ट में 12 अप्रैल को सुनवाई होनी है। अभी तक गहलोत को कोई राहत नहीं मिली है, लेकिन पांच अधिकारियों को चार्जशीट मिलने से मामला गंभीर हो गया है।
एस.पी.मित्तल) (11-04-19)
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