मोदी को हराने के लिए मुसलमान एक जुट होकर वोट दें।
अब नवजोत सिंह सिद्धू ने मांगे जाति-धर्म के आधार पर वोट।
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग का भी डर नहीं।
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16 अप्रैल को कांगे्रस के स्टार प्रचारक और पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने दर्शा दिया कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग से डर नहीं लगता है। सिद्धू ने 16 अप्रैल को बिहार के कटिहार में कांगे्रस-आरजेडी के गठबंधन के प्रत्याशी तारीक अनवर के समर्थन में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। सिद्धू ने कहा कि कटिहार में 64 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। मुसलमानों को अपना वोट बंटने नहीं देना है। नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए मुसलमानों को एकजुट होकर वोट डालना चाहिए। सिद्धू को इस तरह का बयान इसलिए देना पड़ा कि कटिहार में भाजपा-जेडीयू के साथ-साथ ओबैसी की एआईएमएम पार्टी के उम्मीदवार भी मुस्लिम समुदाय से ही हैं। यहां भाजपा जेडीयू वाले उम्मीदवार का मुस्लिम मतदाताओं पर खास प्रभाव है। सिद्धू को लगता है कि ओबैसी के उम्मीदवार की भूमिका से कांग्रेस के उम्मीदवार को नुकसान होगा। जातीय समीकरण को देखते हुए आचार संहिता की सारी सीमाएं तोड़ दी। मुस्लिम वोटों को लेकर सिद्धू का बयान तो बसपा प्रमुख मायावती से भी खतरनाक हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही चुनाव आयोग ने मायावती के प्रचार पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया है, लेकिन सिद्धू ने यह दर्शा दिया है कि उन्हें सुपं्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग से डर नहीं लगता है। कटिहार में 18 अप्रैल को मतदान होना है। इस लिहाज से 16 अप्रैल को सायं पांच बजे चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। सिद्धू ने प्रचार के अंतिम दिन अपना खेल खेल दिया है। अब यह कटिहार के मतदाताओं पर निर्भर है कि वे सिद्धू के बयान को किस तरह लेते हैं। अलबत्ता चुनाव आयोग ने सिद्धू के बयान पर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। सिद्धू कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं। चूंकि सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के मित्र भी है, इसलिए कई इलाकों में सिद्धू की जबर्दस्त लोकप्रियता है। सिद्धू कई बार अपने देश के मुकाबले पाकिस्तान का समर्थन करते हैं।