विपक्षी दलों को फिर लगा ईवीएम से डर।
by
Sp mittal
·
April 24, 2019
विपक्षी दलों को फिर लगा ईवीएम से डर।
सुपीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर।
=========
24 अप्रैल को कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर एक बार फिर मांग की है कि वीवीपेट से निकली पर्चियों में से पचास प्रतिशत पर्चियों का मिलान ईवीएम में दर्ज वोटों से करवाया जाए। इन दलों ने ईवीएम में दर्ज वोटों में गड़बड़ी की आशंका जताई है। विपक्षी दलों के नेता पहले भी कह चुके हैं कि ईवीएम का बटन कोई भी दबाए पर वोट तो भाजपा को जाता है। हालांकि ऐसी सभी आशंकाओं को चुनाव आयोग ने पहले ही खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पचास प्रतिशत वीवीपेट की पॢचयों के मिलान की मांग को खारिज कर दिया है। इस संबंध में चुनाव आयोग का कहना है कि यदि पचास प्रतिशत पर्चियों का मिलान किया जाता है तो एक संसदीय क्षेत्र की मतगणना में कम से कम छह दिन लगेंगे। आयोग के पास इतने संसाधन नहीं है कि छह दिनों तक मतगणना करवाई जाए। विपक्षी दलों ने पुनर्विचार याचिका तब दायर की है जब देश में आधे से ज्यादा संसदीय क्षेत्रों में मतदान हो चुका है। भाजपा का आरोप है कि जैसे जैसे मतदान हो रहा है वैसे वैसे विपक्षी दलों को अपनी हार नजर आ रही है। इसलिए अभी से बहाना ढूंढा जा रहा है।
कैसे हो सकती है गड़बड़ी:
हालांकि चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि ईवीएम में गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है और जब वीवीपेट पर मतदाता अपनी पर्ची देख रहा है तो फिर गुंजाइश की कोई संभावना नहीं है। सवाल यह भी है कि जिन राज्यों में कांग्रेस और विपक्षी दलों की सरकार हैं वहां की ईवीएम एक तरह से सरकार के नियंत्रण में ही होती है। चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग के पास अपने कोई कर्मचारी नहीं होते। संबंधित सरकारों के कर्मचारियों को ही चुनाव आयोग का कर्मचारी मान लिया जाता है। चुनाव के दौरान कलेक्टर की भूमिका जिला निर्वाचन अधिकारी की हो जाती है। हर राज्य सरकार चुनाव से पहले कलेक्टर के पद पर अपने मर्जीदान अफसर की नियुक्ति करती है। सवाल उठता है कि जब राज्य सरकार द्वारा नियुक्त निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में ईवीएम मशीने रखी गई है तब गड़बड़ी कैसे हो सकती है? चुनाव आयोग के पास ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है जिसको घूमाते ही ईवीएम के वोट भाजपा उम्मीदवार को चले जाएंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों को अपनी हार नजर आ रही है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है।