तो नरेन्द्र मोदी ने बनारस में किया सनातन संस्कृति का श्रद्धा के साथ प्रदर्शन।
हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री से और क्या चाहिए?
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26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूपी के बनारस से अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन से पहले मोदी ने बनारस के काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना की। मान्यता है कि भगवान का ख्याल काल भैरव ही रखते हैं, इसलिए काल भैरव को शिव की नगरी का कोतवाल कहते हैं। मोदी ने हमारी सनातन संस्कृति की मान्यताओं के अनुरूप नामांकन से पहले कोतवाल से अनुमति ली। बनारस में जो लोग सनातन संस्कृति को मानते हैं वे कोई भी कार्य करने से पहले काल भैरव मंदिर जाकर कोतवाल से अनुमति लेते हैं। मंदिर के पुजारी राजेश मिश्रा की ओर से मोदी को अंगवस्त्र, रुद्राक्ष की माला, विजय शंख आदि सामग्री दी गई, ताकि दुश्मनों पर विजय प्राप्त की जा सके। इससे पहले 25 अप्रैल को ऐतिहासिक रोड शो के बाद मोदी ने गंगा आरती में भाग लिया। जिन लोगों ने टीवी पर लाइव कवरेज देखा, उन्होंने देखा होगा कि आरती के दौरान प्रधानमंत्री एक साधारण श्रद्धालुु की तरह तालियां बजा रहे थे। माथे पर चंदन का बडा तिलक गले में गमछा, भगवा कलर का कुर्ता पहने नरेन्द्र मोदी सही मायने में बाबा भोले नाथ के भक्त लग रहे थे। यानि दो दिन में मोदी ने हमारी सनातन संस्कृति का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मोदी ने देश को यह दिखाया कि उन्हें अपनी सनातन संस्कृति पर न केवल गर्व है, बल्कि भरोसा भी। सनातन संस्कृति पर आधारित हमारे वेद ग्रंथों पर अमरीका और इंग्लैंड जैसे देश रिसर्च कर रहे हैं। सनातन संस्कृति किसी चमत्कार से कम नहीं है। यदि देश के प्रधानमंत्री को अपनी संस्कृति पर इतना भरोसा है तो फिर हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री से और क्या चाहिए? वहीं प्रधानमंत्री देश की सही मायने में रक्षा कर सकता है जो अपनी संस्कृति के अनुरूप आचरण करें। आज जब दुनियाभर में आतंकवाद का बोलबाला है, तब दुनिया के लोग मानते है कि भारत की सनातन संस्कृति ही कारगर हो सकती है कि इस संस्कृति में सभी का समावेश हो सकता है। सनातन संस्कृति ही सबका कल्याण करने में भरोसा रखती है। हमारी इस संस्कृति में कट्टरपंथ की कोई गुंजाइश नहीं है। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए नरेन्द्र मोदी दुनिया में हमारी संस्कृति के वाहक भी बने हुए हैं। चुनाव के परिणाम कुछ भी हो, लेकिन नरेन्द्र मोदी अपनी संस्कृति में भरोसा रखने वाले हैं।
राजनीतिक ताकत का भी प्रदर्शन:
मोदी ने 2014 में यूपी के बनारस के साथ-साथ गुजरात के बदौड़ा से चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार मोदी सिर्फ बनारस से ही चुनाव लड़ रहे हैं। यह मोदी का आत्मविश्वास भी दिखाता है, जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी के साथ-साथ केरल के वायनाड़ संसदीय क्षेत्र से भी चुनाव लड़ रहे हैं। वायनाड़ में हिन्दुओं के मुकाबले मुसलमान और ईसाई मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। 26 अप्रैल को मोदी के नामांकन के मौके पर एनडीए के घटक दलों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। भाजपा की ओर से यह दिखाने का प्रयास किया गया कि एनडीए में शामिल सभी दल एक साथ है।