हनुमान बेनीवाल की कथनी और करनी में फर्क है,ज्योति मिर्धा तो अपने कामों के दम पर वोट मांग रही हैं।
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6 मई को मतदान वाले दिन नागौर (राजस्थान) संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की प्रत्याशी श्रीमती ज्योति मिर्धा ने अपने प्रतिद्वंदी आरएलपी के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल पर बड़ा राजनीतिक हमला बोला है। बेनीवाल को भाजपा का भी समर्थन है। भाजपा ने नागौर की सीट समझौते में आरएलपी को दी है। ज्योति ने कहा कि मुझे बाहरी प्रत्याशी बताकर प्रचार किया जा रहा है। जबकि मैंने पहली बार जब चुनाव लड़ा था, तब नाथूराम मिर्धा बाबा के नाम का उपयोग किया था। ताकि नागौर में मेरी पहचान हो सके। लेकिन तब मैंने कहा था कि पांच वर्ष बाद मैं अपने कामों के दम पर वोट मागूंगी। पूरा नागौर जानता है कि मैंने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में जो काम किए उसी का लाभ पिछले पांच वर्ष में नागौर के लोगों को मिला है। राजस्थान केनाल के द्वितीय फेज के जरिए नागौर में पानी आ सका। आज नागौर कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ा स्थान रखता है। जहां तक प्रतिद्वंदी उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल का सवाल है तो उनकी कथनी और करनी में अंतर है। पहले उन्होंने कांग्रेस से बातचीत की और फिर भाजपा का समर्थन लेने में सफल रहे। नागौर की जनता राजनीति में अपराधीकरण नहीं बल्कि स्वच्छता चाहती है। जो बेनीवाल थोड़े दिन पहले तक भाजपा और नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते थे, आज वो ही मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। नागौर की जनता बेनीवाल की कथनी और करनी के फर्क को समझती है। गत विधानसभा के चुनाव में बेनीवाल ने बार बार कहा कि वे नागौर के मतदाताओं की सेवा करना चाहते हैं। इसलिए उन्हें विधायक भी चुना गया। मेरी शुभकामनाएं हैं कि बेनीवाल नागौर के लोगों की सेवा करते रहे और मैं दिल्ली जाकर नागौर के लोगों के लिए बड़े बड़े प्रोजेक्ट लेकर आउंगी। ज्योति ने कहा कि अब नागौर के मतदाताओं ने कांग्रेस को जीताने का मन बना लिया है। अपने पूरे संवाद में मिर्धा ने न तो राहुल गांधी के नाम का उल्लेख किया और न ही कांग्रेस की घोषणाओं के बारे में कहा। ज्योति ने अपने कार्यों का ही बखान किया।
जीत तय-बेनीवाल :
वहीं बेनीवाल ने कहा कि नागौर से उनकी जीत तय है। भाजपा ने मेरे राजनीतिक दल आरएलपी से जो गठबंधन किया है उसका फायदा भाजपा को राजस्थान भर में मिलेगा। अब प्रदेश की सभी पच्चीस सीटों पर भाजपा की जीत होगी। उन्होंने कहा कि जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भी चुनाव हार रहे हैं। नरेन्द्र मोदी को दोबारा से प्रधानमंत्री बनने से अब कोई नहीं रोक सकता है।