जयपुर के लिए बीसलपुर बांध से अतिरिक्त पानी लेने के लिए 288 करोड़ रुपए मंजूर।
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Sp mittal
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May 12, 2019
जयपुर के लिए बीसलपुर बांध से अतिरिक्त पानी लेने के लिए 288 करोड़ रुपए मंजूर।
सीएम अशोक गहलोत का यह फैसला अजमेर वासियों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। राजनीतिक नेतृत्व फिर कमजोर साबित हुआ। कहां है रघु शर्मा।
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12 मई के अखबारों में छपा है कि पेयजल की समस्या पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में 11 मई को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। अन्य निर्णय के अलावा इस बैठक में यह भी तय हुआ कि जयपुर के लिए बीसलपुर बांध से 170 एमएलडी अतिरिक्त पानी लेने के लिए 288 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई। सीएम गहलोत का यह निर्णय अजमेरवासियों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। मौजूदा समय में भी बीसलपुर बांध से अजमेर के मुकाबले जयपुर को अधिक मात्रा में पानी दिया जा रहा है। इस भेदभावपूर्ण नीति की वजह से ही अजमेर जिले के शहरी क्षेत्रों में तीन दिन और ग्रामीण क्षेत्रों में सात दिन में एक बार मात्र 45 मिनट के लिए पेयजल की सप्लाई होती है। सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की। दोनों में ही अजमेर की उपेक्षा होती रहती है। भाजपा के शासन में अजमेर जिले के 8 में से सात विधायक भाजपा के थे, इनमें से चार विधायक मंत्री पद की सुविधा ले रहे थे, लेकिन किसी भी विधायक की हिम्मत मुख्यमंत्री वसुंंधरा राजे के सामने बोलने की नहीं थी। गत बार बरसात कम होने की वजह से बीसलपुर बांध में पानी की आवक कम हुई। अजमेर की सप्लाई में तो तत्काल कटौती कर दी गई, जबकि जयपुर की सप्लाई को बढ़ा दिया गया। भाजपा के किसी भी विधायक-मंत्री ने अजमेर के लोगों की पैरवी नहीं की। पिछले तीन माह से अजमेर में तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है, लेकिन कांग्रेस के मंत्री और विधायक चुप हैं। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अजमेर के सांसद भी हैं और स्वयं को जिले का सबसे बड़ा नेता समझते हैं, लेकिन पेयजल की समस्या पर एक शब्द भी नहीं बोलते। शर्मा की रुचि अधिकारियों के तबादले में ही नजर आती है। जयपुर के पास तो पेयजल के अन्य स्त्रोत भी है। लेकिन अजमेर जिले की 35 लाख की आबादी पूरी तरह बीसलपुर बांध पर ही निर्भर है। बीसलपुर बांध से पानी लेकर जयपुर में तो रोजाना सप्लाई की जा रही है, जबकि अजमेर में तीन दिन में एक बार। रघु शर्मा इस भेदभाव पर भी चुप है। जाहिर है कि भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को सिर्फ वोट हथियाने से मतलब होता है। यदि अजमेर का राजनीतिक नेतृत्व मजबूत और ईमानदार हो तो लोगों के साथ भेदभाव नहीं हो सकता। चिकित्सा मंत्री शर्मा अब स्वयं को प्रदेशस्तर का नेता समझने लगे हैं,जबकि उनके अपने जिले के लोग प्यासे मर रहे हैं। 29 अप्रैल तक कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला भी भीलवाड़ा से पानी लाने की बात कर रहे थे, लेकिन मतदान के बाद रिजु भी अजमेर से गायब हो गए हैं। यदि रिजु चुनाव हार गए तो फिर अजमेर में नजर भी नहीं आएंगे। अजमेर जिले का कोई भी कांग्रेसी नेता सीएम गहलोत से यह नहीं पूछ सकता कि अजमेर के मुकाबले जयपुर को प्राथमिकता क्यों दी जाती है? जब पेयजल का स्त्रोत एक ही है तो फिर भेदभाव क्यों? अब अजमेर के बजाए जयपुर के लिए अतिरिक्त पानी लेने की योजना को मंजूरी दी गई है। जहां तक अजमेर की जनता का सवाल है तो पांच दिन में सप्लाई पर भी शांत बैठी रहेगी।