वो ही मायावती
वो ही अशोक गहलोत
और वो ही बसपा के 6 विधायक
अलवर गैंगरेप कांड में कार्यवाही नहीं होने से राजस्थान की कांग्रेस सरकार से समर्थन वापसी पर विचार।
बसपा का समर्थन बना रहेगा-गहलोत
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राजनीति में ऐसा बहुत कम होता है कि जब किसी दृश्य की पुर्नावृत्ति हो, लेकिन राजस्थान में दस वर्ष पहले एक राजनीतिक घटनाक्रम की पुर्नावृत्ति होने की संभावना जताई जा रही है। बसपा प्रमुख मायावती ने 13 मई को कहा कि यदि अलवर गैंग रेप कांड में आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही नहीं हुई तो राजस्थान की कांग्रेस सरकार से बसपा का समर्थन वापस लिए जाने पर विचार होगा। मायावती को यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 12 मई के बयान पर कहनी पड़ी है। मोदी ने कहा था कि यदि मायावती को दलितों की इतनी ही चिंता है तो राजस्थान की कांग्रेस सरकार से तत्काल समर्थन वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए। मालूम हो कि अलवर गैंगरेप कांड की पीडि़त युवती दलित समुदाय की ही है। मोदी के बयान पर यूपी में लोकसभा चुनाव में बसपा को नुकसान न हो, इसलिए मायावती को समर्थन वापसी की बात कहनी पड़ी। यदि मायावती समर्थन वापस लेती हैं तो राजस्थान की राजनीति में दस वर्ष पहले का राजनीतिक दृश्य उत्पन्न हो सकता है। राजस्थान के मौजूदा सीएम अशोक गहलोत वर्ष 2008 में जब दूसरी बार सीएम बने, तब कांग्रेस की सरकार अल्पमत में थी। बहुमत प्राप्त करने के लिए तब गहलोत ने बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करवा दी थी। चूंकि सभी 6 विधायकों ने पाला बदल लिया, इसलिए दल बदल विरोधी कानून भी लागू नहीं हुआ। तब भी बसपा की कमान मायावती के पास थी। वर्तमान में बसपा के जो विधायक कांग्रेस सराकार को समर्थन दे रहे हैं उनमें चौधरी दीपचंद खेरिया, संदीप यादव, जोगेन्द्र अवाना, राजेन्द्र गुढा, वाजिद अली और लाखन सिंह मीणा है।
प्रधानमंत्री के बयान के दबाव में मायावती ने समर्थन वापसी पर विचार की बात तो कही है, लेाकिन मायावती के लिए यह आसान नहीं होगा। मायावती भी जानती है कि सीएम की कुर्सी पर 2008 वाले अशोक गहलोत ही बैठे हैं। हालांकि चार माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दो सौ में से 100 सीटें मिली है, इसलिए गहलोत के सामने 2008 वाले हालात नहीं है। 2008 में कांग्रेस को करीब 94 सीटें मिली थी। गहलोत ने हाल ही में 12 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त किया है, लेकिन दल बदल विरोधी कानून में निर्दलीय विधायक कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण नहीं कर सकते हैं, ऐसे में समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक कभी समर्थन वापसी की घोषणा कर सकते हैं। विधानसभा में भाजपा के विाायकों की संख्या 73 है। माना जा रहा है कि 23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद राजस्थान की राजनीति में बड़ बदलाव होगा।
समर्थन जारी रहेगा-गहलोत:
13 मई को उधर लखनऊ में सुबह 11 बजे मायावती ने राजस्थान सरकार से समर्थन वापसी पर विचार की बाती कही। इधर, दोपहर दो बजे जयपुर में सीएम अशोक गहलोत ने मीडिया के समक्ष उपस्थिति हो गए। गहलोत ने पूरे आत्म विश्वास के साथ कहा कि बसपा का समर्थन कांग्रेस सरकार को मिलता रहेगा। गहलोत ने कहा कि मायावती ने अभी समर्थन वापस तो नहीं लिया है? विचार करने की बात कही हैं। मेरी सरकार अलवर गैंगरेप कांड में अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही कर रही है। जहां तक मायावती की टिप्पणी का सवाल है तो यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, मुझे इस पर कोई ऐतराज नहीं है। मायावती दलित वर्ग की नेता है, इसलिए उनकी टिप्पणी स्वाभाविक है। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हंू कि बसपा समर्थन मिलता रहेगा। गहलोत ने कहा कि पीएम मोदी गैंगरेप केस में राजनीति कर रहे हैं।