कमल हसन का हिन्दी भाषा का विरोध कितना उचित ?

कमल हसन का हिन्दी भाषा का विरोध कितना उचित ? आखिर हिन्दी फिल्मों से ही तो स्टार बने है।

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तमिलनाडु में राजनीति कर रहे फिल्म अभिनेता कमल हसन ने कहा है कि यदि तमिलनाडु पर जबरन हिन्दी भाषा थोपने की कोशिश की गई तो गंभीर परिणाम सामने आएंगे। हालांकि केन्द्र सरकार ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी गैर हिन्दी भाषी राज्य में हिन्दी भाषा थोपी नहीं जाएगी। लेकिन इसके बावजूद भी कमल हसन तमिलनाडु में हिन्दी को मुद्दा बना रहे है। यह वो ही कमल हासन है जो हिन्दी फिल्मों में काम कर स्टार बने है। कमल हसन की आज देश भर में जो लोकप्रियता है उसके पीछे उनकी हिन्दी फिल्में ही है। जब हिन्दी भाषी राज्यों के दर्शकों ने कमल हसन की फिल्में देखी तब किसी ने भी यह नहीं कहा कि कमल हासन तमिल भाषा बोलते है। हिन्दी भाषी राज्यों के दर्शकों ने कमल हसन की फिल्में देखने में कोई भेदभाव नहीं किया। यही वजह है कि आज कमल हसन फिल्मों के सफल अभिनेता रहे है। सवाल उठता है कि जब हिन्दी भाषी राज्यों के दर्शकों ने कमल हसन की फिल्में देखी तो वे अब हिन्दी भाषा का विरोध क्यों कर रहे है। हालांकि तमिलनाडु में हिन्दी भाषा को अनिवार्य करने की मंशा केन्द्र सरकार की नहीं है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि तमिलनाडु की राजनीति में सफल होने के लिए कमल हसन हिन्दी का विरोध कर रहे है। कमल हसन इन दिनों आए दिन विवादित बयान दे रहे है। हाल ही में कमल हासन में नाथुराम गोडसे को पहला हिन्दू आतंकवादी कहा था। यह माना कि तमिलनाडु के राजनेता समय-समय पर हिन्दी भाषा का विरोध करते रहे है, लेकिन कमल हसन तो ऐसे राजनेता है जिन्होंने हिन्दी भाषा की वजह से न केवल धन कमाया, बल्कि लोकप्रियता भी हासिल की। कमल हसन को तो तमिलनाडु में हिन्दी को बढ़ावा मिलने वाली बात कहनी चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (02-06-19)
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