कल तक जो अशोक गहलोत गांधी परिवार के सबसे बड़े विश्वस्त सलाहकार थे आज वो स्वयं कटघरे में खड़े हैं।
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Sp mittal
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June 5, 2019
कल तक जो अशोक गहलोत गांधी परिवार के सबसे बड़े विश्वस्त सलाहकार थे आज वो स्वयं कटघरे में खड़े हैं। यह है आज की राजनीति।
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यूपीए की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी हो या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी। या फिर महासचिव प्रियंका गांधी। गांधी परिवार का सबसे विश्वस्त सलाहकार अशोक गहलोत को ही माना गया। सब जानते है कि 5 माह पहले गांधी परिवार के दबाव से ही गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया। सीएम बनने के बाद भी गहलोत का कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में दखल रहा। यूपीए की बैठकों में भी कांग्रेस की ओर से गहलोत भाग लेते रहे। राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने के बाद गहलोत का ज्यादातर समय दिल्ली में ही बीता। सीएम बनने से पहले गहलोत संगठन महासचिव थे, लेकिन सीएम बनने पर गहलोत की सिफारिश से ही केसी वेणुगोपाल को संगठन का महासचिव बनाया गया, लेकिन अधिकांश फैसले गहलोत के माध्यम से ही हो रहे थे। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट भी गहलोत के प्रभाव को समझ रहे थे, इसलिए मुख्यमंत्री नहीं बनने पर भी शांत रहे। 23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम आते ही बाजी पलट गई, जो अशोक गहलोत गांधी परिवार की आंख के तारे थे, वो गहलोत अब कटघरे में खड़े है। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी राजस्थान की हार के लिए गहलोत को जिम्मेदार मान रहे है। वर्किंग कमेटी की बैठक में प्रियंका गांधी का कहना रहा कि कांग्रेस के हत्यारे इसी बैठक में मौजूद है। इसी बैठक में राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा भी दे दिया। अब राहुल गांधी अशोक गहलोत से मिलना भी पसंद नहीं कर रहे हैं। जो लोग सोचते है कि राजनीति में बहुत मजा है उन्हें गहलोत के मामले से सीख लेनी चाहिए। राजनीति में कितनी जल्दी भरोसा टूटता है, इसका पता राजस्थान की राजनीति से लगाया जा सकता है। जहां तक गहलोत की कार्यशैली का सवाल है तो गहलोत कभी भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाला काम नहीं करेंगे। लोकसभा चुनाव में तो उनका बेटा भी 3 लाख मतों से हार गया। क्या गहलोत ने अपने बेटे को जिताने की कोशिश नहीं की होगी ? इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि अशोक गहलोत आज खुद राजनीति के भंवर में फंस गए है। हो सकता है कि पीड़ित मन से गहलोत स्वयं ही सीएम पद से इस्तीफे की पेशकश गांधी परिवार के समक्ष कर दें। गहलोत के लिए गांधी परिवार का भरोसा सबसे अहम है।